30 October 2025

उत्पन्ना एकादशी: जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और दान का महत्व

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हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। वर्ष में कुल 24 एकादशी तिथियाँ आती हैं, जिनमें प्रत्येक का अपना पौराणिक और धार्मिक महत्व होता है। उत्पन्ना एकादशी, माघशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाई जाती है। इसे सभी एकादशियों का आरंभ बिंदु माना जाता है, क्योंकि इसी दिन एकादशी का जन्म हुआ था। उत्पन्ना एकादशी न केवल धर्म और भक्ति का पर्व है, बल्कि यह आत्म-संयम, तप और श्रद्धा का प्रतीक भी है।

 

उत्पन्ना एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

साल 2025 में उत्पन्ना एकादशी तिथि की शुरुआत 15 नवंबर को रात्रि 12 बजकर 49 मिनट पर हो रही है। जिसका समापन अगले दिन 16 नवंबर की रात 2 बजकर 37 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में उदयातिथि की मान्यता है। उत्पन्ना एकादशी तिथि का उदय 15 नवंबर को है, इसलिए उदया तिथि के अनुसार उत्पन्ना एकादशी 15 नवम्बर को मनाई जाएगी। 

 

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

ऐसा माना जाता है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखने, दीन-दु:खी, निर्धन लोगों को दान देने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत जीवन में सकारात्मकता, संयम और मानसिक शांति लाता है। जिन भक्तों को अपने जीवन में कठिनाइयाँ झेलनी पड़ रही होती हैं, वे इस एकादशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

सनातन परंपरा के शास्त्रों में इस एकादशी का विस्तार से वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने और दान देने से साधक को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जन्म-जन्मांतर में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा भक्तों पर बरसती है। 

 

कैसे मनाएं उत्पन्ना एकादशी

उत्पन्ना एकादशी पर हम अपने घर में पूजा-अर्चना के साथ-साथ जरूरतमंदों की सहायता जरूर करें। इस दिन दीन-हीन, निर्धन लोगों को भोजन कराना, वस्त्र दान करना और सेवा करना भी अत्यधिक पुण्य का कार्य माना जाता है। साथ ही, अपने परिवार के साथ मिलकर इस दिन को एक पवित्र पर्व की तरह मनाएं।

 

दान का महत्व

सनातन परंपरा में दान को परम कर्तव्य माना गया है, जो न केवल व्यक्तिगत उन्नति बल्कि समाज के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त करता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, दान व्यक्ति को स्वार्थ से परे लेकर जाता है और उसे करुणा और प्रेम का मार्ग दिखाता है। दान का अर्थ केवल वस्तुओं का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि यह आत्मा की पवित्रता का अभ्यास है। यह पुण्य अर्जित करने का साधन है, जो व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से सशक्त करता है। दान न केवल वर्तमान जीवन में सुख-शांति देता है, बल्कि इसे भविष्य के लिए भी सुकृत्य माना गया है। इसलिए, दान के माध्यम से व्यक्ति न केवल अपने पापों का परिमार्जन करता है, बल्कि समाज में सकारात्मक ऊर्जा और सामंजस्य का विस्तार करता है। इसलिए सनातन धर्म में विभिन्न ग्रंथों में दान के महत्व का विस्तार से वर्णन मिलता है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने दान के महत्व को बताते हुए कहा है- 

 

तुलसी पंछी के पिये घटे न सरिता नीर।

दान दिये धन ना घटे जो सहाय रघुवीर।।

 

अर्थात पक्षियों ने पानी पीने से जिस प्रकार से नदी का जल कम नहीं होता, उसी प्रकार यदि आपके ऊपर भगवान की कृपा है तो दान देने से आपके घर में कभी धन की कमी नहीं होती। 

 

उत्पन्ना एकादशी पर करें इन चीजों का दान 

उत्पन्ना एकादशी पर अन्न के दान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन दान देकर नारायण सेवा संस्थान में दीन-दु:खी, निर्धन लोगों को भोजन कराने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें। 

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

प्रश्न: उत्पन्ना एकादशी 2025 कब है?

उत्तर: साल 2025 में उत्पन्ना एकादशी 15 नवम्बर को मनाई जाएगी। 

 

प्रश्न: उत्पन्ना एकादशी कौन से भगवान के लिए समर्पित है?

उत्तर: उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु के लिए समर्पित है। 

 

प्रश्न: उत्पन्ना एकादशी पर किन चीजों का दान करना चाहिए?

उत्तर: उत्पन्ना एकादशी पर जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और भोजन का दान करना चाहिए। 

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