01 November 2025

वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025: भारत ने रचा इतिहास

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पिछले माह नई दिल्ली में सम्पन्न विश्व पैरा (दिव्यांग) एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भारतीय खिलाड़ियों ने पहली बार 22 पदक जीतकर इतिहास रच दिया। टूर्नामेंट में उतरे 73-सदस्यीय भारतीय दल ने 6 स्वर्ण, 9 रजत और 7 कांस्य पदक देश की झोली में डाले। सात एशियाई और तीन वर्ल्ड रिकार्ड।

नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 5 अक्टूबर को संपन्न हुई वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 की पदक तालिका में मेजबान, भारत भले ही 10वें नंबर पर रहा, लेकिन उसने अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। भारत ने 22 मेडल झटके। इनमें 6 स्वर्ण, 9 रजत और 7 कांस्य पदक हैं। भारत के 30 से ज्यादा एथलीटों ने अपना सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रदर्शन किया। 9 खिलाड़ी चौथे स्थान पर रहे। 7 खिलाड़ियों ने एशिया का वर्ल्ड रिकॉर्ड आपने नाम किया। 3 एथलीटों ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। जब कि कोबे में संपन्न पिछले संस्करण में भारत ने 17 पदक ही हासिल किए थे। ब्राजील ने सर्वाधिक 15 स्वर्ण (कुल 44 पदक) जीतकर शीर्ष स्थान किया जबकि चीन ने सर्वाधिक 52 पदक जीते, लेकिन स्वर्ण (13) की संख्या ब्राजील से कम रही और वह दूसरे स्थान पर रहा।

 

कभी थे हाशिए पर, आज हैं सितारे

भारत में पैरा एथलेटिक्स का वर्चस्व एक प्रेरणादायक क्रांति की कहानी है। कभी हाशिए पर रहे पैरा खिलाड़ी आज वैश्विक मंच पर तिरंगा लहरा रहे हैं। नई दिल्ली में पहली बार आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 (27 सितंबर – 5 अक्तूबर) इस बदलाव का प्रतीक है। सुमित आंतिल, दीप्ति जीवंजी और शिलेश कुमार जैसे सितारों ने स्वर्णिम सफलता से इतिहास रचा। सरकारी समर्थन, बेहतर प्रशिक्षण और जागरुकता ने इन नायकों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 2019 से 2025 तक भारत की पदक तालिका लगातार चढ़ रही है। पैरा खेलों ने भारत के खेल इतिहास में विशेष स्थान बनाया है।

ये खेल शारीरिक या मानसिक रूप में अक्षम एथलीटों के लिए आयोजित किए जाते हैं, जो उनकी साधारण क्षमता को प्रदर्शित करते है। 1968 में भारत ने तेल अवीव पैरालंपिक में दस दस एथलीटों के साथ पहली बार हिस्सा लिया। तब से 2024 पैरालंपिक में 29 पदक का सफर संघर्ष, प्रगति और परिवर्तन की कहानी कह रहा है। नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 104 देशों के 2200 से अधिक एथलीटों के बीच भारत के दल ने शानदार प्रर्दशन किया। पैरा खेलों का शुरुआती दौर चुनौतियों से भरा था। सामाजिक पूर्वाग्रह और संसाधनों की कमी ने प्रगति को रोका।

1972 में मुरलीकांत पेटकर ने 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में भारत का पहला पैरालम्पिक स्वर्ण जीता, जो ऐतिहासिक था। 1984 के लांस एंजिलिस पैरालपिक में जोगिंदर सिंह बेदी ने रजत और दो कांस्य जबकि भीमराव केसरकर ने भाला फेंक में रजत जीता। 1990 के दशक में फिजिकली हैंडीकैप्ड स्पोटर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (अब पैरालम्पिक कमेटी ऑफ इंडिया पीसीआई) की स्थापना हुई, जिसे अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक कमेटी और खेल मंत्रालय में मान्यता मिली। 2004 के एथेंस पैरालंपिक में देवेंद्र झझरिया ने भाला फेंक में स्वर्ण और राजिंदर सिंह ने पावरलिफ्टिंग में कांस्य जीता।

2012 के लंदन पैरालंपिक में गिरिशा होसानगरा नागराजेगौड़ा ने हाई जंप में रजत जीता जो उस समय भारत का एकमात्र पदक था। 2008 बीजिंग पैरालंपिक में कोई पदक नहीं मिला था। 2012 के बाद पैरा खेलों में क्रांतिकारी बदलाव आया। 2016 रियो पैरालंपिक में 19 एथलीटों ने चार पदक जीते- देवेन्द्र झझरिया का स्वर्ण, दीपा मलिक का रजत और दो कांस्य। यह सफलता सरकारी योजनाओं का परिणाम थी। टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम ने वैज्ञानिक प्रशिक्षण, उपकरण और विदेशी कोचिंग प्रदान की। खेलो इंडिया ने ग्रासरूट स्तर पर प्रतिभा को बढ़ावा दिया।

2020 टोक्यो पैरालम्पिक में 54 एथलीटों ने 9 खेलों में 19 पदक जीते। 2024 पेरिस पैरालम्पिक में  84 एथलीटों ने 12 खेलों में 29 पदक (7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य) जीते। सफलताओं के बावजूद, पैरा खेल कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में एक्सेसिबल स्टेडियम, व्हीलचेयर-फ्रेंडली ट्रैक और उपकरणों की कमी है। 2005 विश्व चैंपियनशिप भारत को वैश्विक पैरा स्पोर्ट्स के रूप में स्थापित करेगी। नेशनल स्पोर्ट्स पॉलिसी 2025 पारदर्शिता और ग्रासरूट विकास पर केंद्रित होगी। खेलों इंडिया का विस्तार और लांस एंजिलिस 2028 पैरालम्पिक की तैयारी भारत को शीर्ष 10 देशों में  ला सकती है।  

 

तीन चैंपियनशिप रिकॉर्ड 

भारत ने इस चैंपियनशिप में तीन चैंपियनशिप रिकार्ड बनाएं। दो बार के पैरालम्पिक चैंपियन सुमित आंतिल ने में एफ64 वर्ग में 71.37 मीटर भाला फेंककर चैंपियनशिप रिकॉर्ड बनाया। बहु-राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत के पहले स्वर्ण पदक विजेता शैलेश कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद टी42 स्पर्धा में 1.91 मीटर की छलांग लगाकर एक नया रिकॉर्ड बनाया। पहली बार विश्व बैंपियन बने रिंकू हुड्डा ने पुरुषों की भाला फेंक एफ46 स्पर्धा में 66.37 मीटर की दूरी तय करके चैंपियनशिप रिकार्ड बनाया।

 

ट्रैक में सबसे ज्यादा पदक

इस विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत द्वारा जीते गए सर्वाधिक ट्रैक पदक हैं। भरात ने नई दिल्ली में 6 ट्रैक पदक जीते, जबकि कोबे में पिछले संस्करण में 4 पदक जीते थे। सिमरन शर्मा ने महिलाओं की 100 मीटर और 200 मीटर टी12 श्रेणी में 100 मीटर में स्वर्ण और 200 मीटर में रजत पदक झटका। संदीप कुमार पुरुषों की 200 मीटर टी35 स्पर्धा में कांस्य पदक के साथ विश्व चैंपियनशिप में ट्रैक पदक जीतने वाले पहले पुरुष भारतीय पैरा एथलीट बनें।

 

(लेखक: प्रशांत अग्रवाल – अध्यक्ष, नारायण सेवा संस्थान)

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