01 April 2024

Papmochani Ekadashi 2024: पाप मोचिनी एकादशी कब है जाने तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा नियम और दान का महत्व

पापमोचिनी एकादशी सनातन परंपरा में महत्वपूर्ण तिथि है। यह तिथि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में आती है। इस एकादशी को चैत्र कृष्ण एकादशी भी कहा जाता है। पापमोचिनी एकादशी हिन्दू पंचांग के अनुसार साल की पहली एकदाशी है। चैत्र माह को लेकर मान्यता है कि इस महीने में ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी, इसलिए इस माह को साल का पहला महीना माना जाता है। 

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार पापमोचिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने तथा ब्राह्मणों, दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देने से सभी पाप नष्ट होते हैं और साधक को जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

 

इस दिन मनाई जाएगी पापमोचिनी एकादशी 

Papmochani Ekadashi Date and Time:  इस साल की पापमोचिनी एकादशी (Shubh Muhurat)  4 अप्रैल 2024 गुरुवार को शाम 4 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी। यह अगले दिन शुक्रवार 5 अप्रैल 2024 को दोपहर 1 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार पापमोचनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को ही रखा जाएगा।

 

पापमोचनी एकादशी का महत्व

Papmochani Ekadashi Importance: कहा जाता है कि इस धरती में आने वाला व्यक्ति अपने जीवन में कोई न कोई पाप कर बैठता है, जिसका फल उसे इसी जन्म में या अगले जन्म में अवश्य मिलता है। ऐसे में इन पापों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए पापमोचनी एकादशी के दिन व्रत रखना चाहिए साथ ही भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। 

धर्म ग्रंथ एवं पुराणों में बताया गया है कि पापमोचिनी एकादशी पर व्रत रखने से और भगवान की उपासना करने से सभी कष्टों और दु:खों का नाश होता है, साथ ही अनजाने में हुई गलतियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही साधक को सहस्त्र गोदान के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। 

 

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा 

Papmochani Ekadashi Vrat Katha: पापमोचिनी एकादशी का सम्पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए साधक को एकादशी के दिन निर्जला उपवास रखना चाहिए। यदि साधक निर्जला उपवास नहीं रख सकते हैं तो वो फलाहारी या जलीय व्रत रख सकते हैं। निर्जला उपवास रखने से पहले दशमी तिथि के दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए, एक दिन पहले चावल का सेवन न करें। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना विधि विधान से करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पापमोचनी एकादशी व्रत के दौरान विष्णु चालीसा का पाठ करने से साधक की मनचाही मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन की समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

 

दान का महत्व

सनातन परंपरा में दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है। कहा जाता है कि एक हाथ से दिया गया दान हजार हाथों से आपके पास वापस आता है। दान के महत्व (Importance of Donation) का उल्लेख करते हुए “मनुस्मृति” में कहा गया है-

 

तपः परं कृतयुगे त्रेतायां ज्ञानमुच्यते ।

द्वापरे यज्ञमेवाहुर्दानमेकं कलौ युगे ॥ 

 

अर्थात् सतयुग में तप, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में यज्ञ और कलियुग में दान मनुष्य के कल्याण का साधन है।

 

पापमोचिनी एकादशी पर करें इन चीजों का दान 

अन्न और भोजन दान: सनातन परंपरा में अन्न और भोजन का दान (Food Donation) सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसलिए एकादशी के इस पुण्यकारी दिन पर दीन-हीन, असहाय लोगों को अन्न का दान करना चाहिए। इस तरह के दान करने से साधक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही व्यक्ति कल्याण के मार्ग पर आगे बढ़ जाता है। नारायण सेवा संस्थान पापमोचिनी एकादशी पर दीन-हीन, दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने जा रहा है। इस पावन अवसर पर बच्चों को भोजन कराने हेतु सहयोग करें। 

वस्त्र और शिक्षा दान: एकादशी के दिन वस्त्र (Clothing Donation) और शिक्षा दान (Education Donation) को भी बेहद कल्याणकारी माना जाता है। इसलिए इस पुण्यकारी दिन पर निर्धन लोगों को वस्त्र का दान करें, साथ ही निर्धन बच्चों को शिक्षा से संबंधित सामग्री जैसे- कॉपी, किताब, पेंसिल, पेन, स्कूली बैग इत्यादि वितरित करें। यदि आप सक्षम हैं तो इस दिन किसी निर्धन बच्चे शिक्षित करने के लिए संकल्प लें। पापमोचिनी एकादशी के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के वस्त्र दान और शिक्षा दान के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

प्रश्न: इस बार की पापमोचिनी एकादशी कब मनाई जाएगी?

उत्तर: इस बार की पापमोचिनी एकादशी 5 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी। 

 

प्रश्न: पापमोचिनी एकादशी किन भगवान को समर्पित मानी जाती है?

उत्तर: पापमोचिनी एकादशी भगवान विष्णु के लिए समर्पित है। 

 

प्रश्न: पापमोचनी एकादशी का अर्थ क्या है?

उत्तर: Papmochani Ekadashi Meaning: पाप का नाश करने वाली एकादशी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाने की मान्यता है. कहा जाता है कि इस एकादशी के दिन किसी से बुरा या झूठ भूल से भी नहीं बोलना चाहिए, ऐसा करने से हमें हमारी पूजा-व्रत का फल नहीं मिलता है.