माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह पावन दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और दान, उपवास और सेवा के लिए विशेष महत्व रखता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत और दान करने से जीवन के पापों का नाश होता है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
षटतिला एकादशी का महत्व
षटतिला एकादशी का नाम “तिल” से जुड़ा है, जो इस दिन के पूजा-अर्चना और दान में मुख्य भूमिका निभाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु को तिल अत्यंत प्रिय है। इसलिए तिल के प्रयोग और दान से व्यक्ति को आत्मिक शुद्धि, संतोष और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। साथ ही, इस दिन सेवा और परोपकार का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को तिल से बने खाद्य पदार्थ और अन्य सामग्री दान करने से अनंत पुण्य मिलता है।
षटतिला एकादशी और दान का महत्व
षटतिला एकादशी व्रत और उपासना के साथ ही सेवा और परोपकार का दिन है। इस दिन तिल का उपयोग और दीन-हीन, असहाय, जरूरतमंदों को दान करने के पीछे गहरा धार्मिक और वैज्ञानिक आधार है। इस दिन भोजन दान करने से दिया जाने वाला दान अध्यात्मिक उन्नति का भी माध्यम बनता है।
दान की महिमा का वर्णन हिन्दू धर्म के कई ग्रंथों में मिलता है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है-
प्रगट चारि पद धर्म के कलि महुँ एक प्रधान।
जेन केन बिधि दीन्हें दान करइ कल्यान॥
धर्म के चार चरण (सत्य, दया, तप और दान) प्रसिद्ध हैं, जिनमें से कलि में एक (दान रूपी) चरण ही प्रधान है। जिस किसी प्रकार से भी दिए जाने पर दान कल्याण ही करता है।
षटतिला एकादशी पर जरूरतमंद और असहाय लोगों की मदद करना अत्यंत पुण्यदायी है। इस दिन गरीबों और दिव्यांगों को भोजन कराने से न केवल उनका आशीर्वाद मिलता है, बल्कि यह भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति का भी माध्यम बनता है
इस पावन दिन पर जरूरतमंद बच्चों को भोजन दान करके भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।