एकादशी | दिव्यांग बच्चों को भोजन करवाने में मदद करें
Narayan Seva Sansthan - देवशयनी एकादशी

देवशयनी एकादशी पर दान करके दीन-हीन, असहाय दिव्यांग बच्चों को कराएं आजीवन भोजन (वर्ष में एक बार)

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देवशयनी एकादशी

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सनातन परंपरा में एकादशी बेहद पवित्र दिन माना जाता है। यह दिन इस जगत के पालनहार भगवान नारायण की आराधना के लिए समर्पित है। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश होता है और भगवान नारायण भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करते हैं। एकदशी लोगों की समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट करती है और भक्तों को खुशहाल तथा सुखमय जीवन प्रदान करती है।

देवशयनी एकादशी का महत्व

देवशयनी एकादशी बेहद पुण्यदायी मानी जाती है, इस तिथि का महत्व धार्मिक परंपराओं में समृद्धि, शांति, और आध्यात्मिकता के साथ जुड़ा हुआ है। इस दिन भगवान विष्णु आगामी चातुर्मास के लिए शयन करने के लिए क्षीरसागर में चले जाते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु की उपासना करने तथा दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देने से साधकों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

दीन-हीन, असहाय दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने हेतु सहयोग करें

देवशयनी एकादशी के दिन ब्राह्मणों तथा असहाय बच्चों को भोजन कराने से ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। कहा जाता है कि इस शुभ दिन पर धमार्थ कार्य करने से लोगों के सुखमय जीवन का मार्ग प्रशस्त होता है। सनातन परंपरा में दान देना एक शुभ कर्म माना गया है। जिसका उल्लेख कई पौराणिक ग्रंथों में मिलता है।

मनुस्मृति में दान का उल्लेख करते हुए कहा गया है-

तपः परं कृतयुगे त्रेतायां ज्ञानमुच्यते ।
द्वापरे यज्ञमेवाहुर्दानमेकं कलौ युगे ॥

अर्थात् सतयुग में तप, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में यज्ञ और कलियुग में दान मनुष्य के कल्याण का साधन है।

देवशयनी एकादशी के पुण्यकारी अवसर पर दान देकर नारायण सेवा संस्थान के दीन-हीन, असहाय दिव्यांग बच्चों को वर्ष में एक बार आजीवन भोजन कराने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।

देवशयनी एकादशी

देवशयनी एकादशी पर भूखे बच्चों को भोजन कराने में योगदान दें।

आपके द्वारा दिए गए दान से जरूरतमंदों, परित्यक्तों और दिव्यांग बच्चों को भोजन कराया जाएगा।


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