

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। प्रत्येक एकादशी भगवान विष्णु की आराधना के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली विजया एकादशी अपने नाम के अनुरूप ही जीवन में विजय और सफलता प्रदान करने वाली मानी गई है। इस दिन व्रत रखने से समस्त पापों का नाश होता है और साधक को धर्म, अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस एकादशी के प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन के सभी संघर्षों पर विजय प्राप्त कर सकता है।
इस बार की विजया एकादशी 24 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त 23 फरवरी को दोपहर 1 बजकर 55 मिनट से शुरू होगा। जिसका समापन 24 फरवरी 2025 को दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में उदयातिथि का महत्व है इसलिए विजया एकादशी 24 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
विजया एकादशी का पारण 25 फरवरी 2025 को किया जाएगा। पारण का समय प्रातः काल 6 बजकर 50 मिनट से 9 बजकर 8 मिनट तक है।
जो भी भक्त सच्चे हृदय से विजया एकादशी का व्रत करता है, उसे अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है। भगवान विष्णु की कृपा से उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के प्रभाव से न केवल इस जन्म, बल्कि पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
विजया एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु का ध्यान करें और एकादशी के व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें फल, फूल, दीपक, चंदन, तुलसी आदि अर्पित करें। इसके बाद विधि विधान के साथ पूजा करें। विजया एकादशी की व्रत कथा सुनें। भगवान विष्णु की आरती करें, साथ ही ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय लोगों को दान दक्षिणा दें।
विजया एकादशी का उल्लेख पद्म पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है। जिसके अनुसार स्वयं भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए इस एकादशी का व्रत किया था। कहा जाता है कि विधि-विधान से पूजा करने से विपरीत परिस्थितियां भी लोगों के अनुकूल हो जाती हैं और लोगों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। कहा जाता है कि विजया एकादशी के दिन व्रत करने से लोगों को स्वर्णदान, भूमि दान, अन्न दान और गौ दान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है साथ ही प्राणियों को मोक्ष प्राप्त होता है। यह भी कहा जाता है कि इस महान पुण्यदायक व्रत को करने से व्रती को ‘वाजपेय यज्ञ’ कराने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई शत्रु आपको परेशान करता है तो उसे परास्त करने के लिए ये व्रत करना चाहिए।
इस दिन भगवान विष्णु के भक्तों को परनिंदा, छल-कपट, लालच, द्वेष की भावनाओं से दूर चाहिए। साथ ही इस दिन गहरे काले रंग के वस्त्र पहनने से परहेज करें। एकादशी के दिन चावल और भारी खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। इस दिन रात्रि के समय पूजा उपासना भगवान विष्णु के भजन गाना बेहद पुण्यकारी माना गया है।
सनातन धर्म में दीन-दु:खी, जरूरतमंद लोगों को दान देना महान पुण्यदायी कर्म बताया गया है। दान न केवल सांसारिक जीवन में सुख-शांति लाता है, बल्कि आत्मा की उन्नति का भी साधन है। यह केवल जरूरतमंदों की सहायता भर नहीं करता, बल्कि मानवता की सेवा का सबसे बड़ा मार्ग भी है।
विजया एकादशी जैसे पावन दिनों में अन्न, वस्त्र, धन, और गौदान का विशेष महत्व है। दिव्यांगों, असहायों और जरूरतमंदों की सहायता करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि आती है। अतः, इस पावन दिवस पर निःस्वार्थ भाव से दान कर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करना चाहिए।
दान के महत्व का उल्लेख सनातन परंपरा के अनेकों ग्रंथों में किया गया है।
मनुस्मृति में कहा गया है-
तपः परं कृतयुगे त्रेतायां ज्ञानमुच्यते ।
द्वापरे यज्ञमेवाहुर्दानमेकं कलौ युगे ॥
अर्थात् सतयुग में तप, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में यज्ञ और कलियुग में दान मनुष्य के कल्याण का साधन है।
अन्न और भोजन का दान : सनातन परंपरा में अन्न और भोजन का दान सबसे अच्छा माना गया है। इसलिए इस दिन निर्धन और असहाय बच्चों को अन्न का दान करना चाहिए। विजया एकादशी के शुभ अवसर पर दीन-हीन, असहाय बच्चों को भोजन कराने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नारायण सेवा संस्थान विजया एकादशी पर दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने जा रहा है। इस पावन अवसर पर बच्चों को भोजन कराने हेतु सहयोग करें।
वस्त्र और शिक्षा दान : एकादशी के शुभ अवसर पर वस्त्र और शिक्षा का दान भी बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए इस शुभ दिन पर आप निर्धन बच्चों को शिक्षा से संबंधित सामग्री जैसे- कॉपी, किताब, पेंसिल, पेन, स्कूली बैग इत्यादि वितरित करें। साथ ही यदि संभव हो तो इस दिन किसी निर्धन बच्चे शिक्षित करने के लिए संकल्प लें। विजया एकादशी के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के वस्त्र दान और शिक्षा दान करने के आंदोलन में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।