हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह पर्व पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। सालभर में चार नवरात्रि आती हैं, लेकिन इनमें से दो नवरात्रों का आयोजन विशेष धूमधाम और श्रद्धा के साथ किया जाता है। जिनमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि शामिल हैं।
नवरात्रि के इन नौ दिनों में माता के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रत्येक दिन देवी दुर्गा का अलग रूप प्रकट होता है और उसी दिन विशेष रंग का वस्त्र पहनकर, विशेष भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति का संचार भी करती है।
नौ दिन की नवरात्रि पर्व में हर स्वरूप का अपना विशेष महत्व है। माता के नौ रूपों की आराधना से जीवन में संकटों का नाश, मानसिक शांति, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। चलिए जानते हैं नवरात्रि के नौ दिन कौन-कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए साथ ही प्रतिदिन कौन सा भोग अर्पित करना चाहिए।
नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री को समर्पित है। पहले दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनकर माता रानी को दूध और चावल की बनी खीर अर्पित करें। यह दिन मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए विशेष शुभ माना जाता है।
दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। माँ का यह स्वरूप तप, साधना और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर शक्कर से बनी मिठाई का भोग अर्पित करें। ब्रह्मचारिणी माता की कृपा से मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास होता है।
तीसरे दिन माता चंद्रघंटा का पूजन होता है। माँ का यह रूप साहस और वीरता का प्रतीक है। इस दिन नीले रंग के वस्त्र पहनकर दूध से बनी चीजों का भोग अर्पित करें। चंद्रघंटा माता शत्रुओं से रक्षा करती हैं और जीवन में साहस और निडरता का संचार करती हैं।
चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा होती है। यह स्वरूप सृजन शक्ति का प्रतीक है। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनकर माता रानी को मालपुआ अर्पित करें। कूष्मांडा माता की कृपा से जीवन में स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
पाँचवे दिन माता स्कंदमाता की आराधना होती है। माता रानी का यह स्वरूप संतान की सुरक्षा का प्रतीक है। इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनकर कच्चे केले की बर्फी का भोग अर्पित करें। स्कंदमाता माता अपने भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाती हैं।
छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा होती है। माँ का यह यह रूप वीरता और संघर्ष शक्ति का प्रतीक है। इस दिन भूरे रंग के कपड़े पहनकर शहद से बनी खीर का भोग अर्पित करें। कात्यायनी माता नकारात्मक शक्तियों का नाश कर जीवन को सुरक्षा प्रदान करती हैं।
सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। यह स्वरूप भय और नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने वाला है। इस दिन माँ के भक्त नारंगी रंग के कपड़े पहनकर गुड़ का हलवा अर्पित करें। कालरात्रि माता भक्तों के जीवन से भय और अशांति को दूर करती हैं।
आठवें दिन माता महागौरी की पूजा होती है। यह रूप सौंदर्य और करुणा का प्रतीक है। इस दिन तोते के पंखों जैसे हरे रंग के वस्त्र पहनकर माँ को नारियल का भोग अर्पित करें। महागौरी माता की कृपा से मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
नवरात्रि का अंतिम दिन माता सिद्धिदात्री को समर्पित है। माँ का यह स्वरूप सभी सिद्धियां और आशीर्वाद देने वाला है। इस दिन गुलाबी रंग के कपड़े पहनकर आटा से बने हलवा-पूड़ी और चने का भोग अर्पित करें। सिद्धिदात्री माता के पूजन से जीवन में समृद्धि और आध्यात्मिक प्रगति होती है।
नवरात्रि के इन नौ दिनों में हर दिन माता के विशेष स्वरूप की पूजा, विभिन्न रंगों के कपड़े पहनने तथा नौ तरह के भोग अर्पित करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मशक्ति, धैर्य और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
इस नवरात्रि, माता रानी के इन नौ दिव्य स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा कर जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें। मां दुर्गा की कृपा से आपका जीवन मंगलमय और आशीर्वादों से परिपूर्ण रहे।
जय माँ अम्बे !