नवरात्रि के पर्व की शुरुआत हो चुकी है। इसे सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। जहां भक्त लोग माँ भगवती दुर्गा की आराधना करके उनसे सुखमय जीवन का आशीर्वाद मांगते हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए यह त्यौहार एक अलग ही उत्साह लेकर आता है। नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान माँ दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। इन रूपों में माँ के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री रूप शामिल हैं। नौ दिनों तक माँ के स्वरूपों को समर्पित कपड़े पहनने से माँ की असीम कृपा प्राप्त होती है।
पहला दिन
शारदीय नवरात्रि पहला दिन माँ शैलपुत्री के लिए समर्पित है। इस दिन माँ के इस स्वरूप की पूजा की जाती है। शैलपुत्री को पर्वतराज की बेटी कहा गया है। इनका पसंदीदा रंग सफेद है। इसलिए इस दिन सफेद रंग के वस्त्र धारण करने से भक्तों पर माँ की असीम कृपा होती है।
दूसरा दिन
नवरात्रि का दूसरा दिन माँ के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। इनके नाम में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार इनके नाम का अर्थ हुआ कि कठोर तपस्या का आचरण करने वाली माता। इनके एक हाथ में माला व दूसरे हाथ में कमण्डल रहता है। इसके साथ ही माँ ब्रह्मचारिणी धवल वस्त्र धारण करती हैं। इस दिन भक्तों के द्वारा सफेद वस्त्र धरण करने पर माँ की अपार कृपा प्राप्त होती है।
तीसरा दिन
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि माँ चंद्रघंटा की कृपा से लोगों को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। माँ के इस स्वरूप का पसंदीदा रंग लाल है। इसलिए इस दिन भक्तों को लाल रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए।
चौथा दिन
नवरात्र-पूजन का चौथा दिन माँ कूष्मांडा की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन साधकों को अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से माँ के इस स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना करनी चाहिए। कूष्मांडा देवी को प्रसन्न करने के लिए भक्त गहरे नीले या बैंगनी रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं।
पांचवा दिन
नवरात्रि का पांचवा दिन माँ स्कंदमाता के लिए समर्पित है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली स्कंदमाता परम सुखदायी हैं। माँ का यह दिव्य स्वरूप साधकों की सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है। इस दिन भक्त सफेद या पीले वस्त्र धरण करके माँ की पूजा कर सकते हैं।
छठवां दिन
छठवें दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। इन्हें परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई देवी माना जाता है। परम्परागत रूप से माँ कात्यायनी लाल या गुलाबी रंग से जुड़ी हुई हैं। इसलिए इस दिन भक्त लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं।
सातवां दिन
इस पर्व का सातवां दिन माँ कालरात्रि की पूजा के लिए समर्पित है। कहा जाता है कि देवी के इस स्वरूप से सभी राक्षस, भूत, प्रेत, पिशाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है। माँ कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए स्लेटी या भूरे रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए।
आठवां दिन
आठवें दिन भक्त माँ महागौरी की पूजा करते हैं। महागौरी को प्रसन्न करने के लिए भक्त सफेद या बैंगनी रंग के कपड़े पहन सकते हैं।
नौवां दिन
नवरात्र-पूजन के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। कहा जाता है कि इस दिन पूर्ण निष्ठा के साथ माँ की पूजा करने वाले व्यक्ति को सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इस दिन माँ को प्रसन्न करने के लिए हरे रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए।