03 February 2024

दिव्य और पुण्यदायी होता है माघशीर्ष का स्नान और दान, जानिए महत्व और विशेषताएं

सनातन परंपरा में माघ का महीना बेहद पवित्र माना जाता है। इस माह में गंगा स्नान और  प्रयागराज के संगम तट पर स्नान करना अति शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि यहां स्नान करने से समस्त पापों का क्षय होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। माघ माह में स्नान-दान के महत्व के बारे में कई धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है। भविष्य पुराण में माघ माह में स्नान-दान के महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। 

 

माघ स्नान का महत्व

माघ स्नान को प्रातः काल में करना ही शुभ माना जाता है। इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में 4 बजे से 6 बजे के बीच पवित्र गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। यदि आप गंगा में स्नान करने नहीं जा सकते हैं तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। कहा जाता है कि माघ माह में प्रातः काल स्नान करने से सभी महापातक दूर हो जाते हैं और प्राजापत्य-यज्ञ का फल प्राप्त होता है। 

 

माघ स्नान में करें इन नियमों का पालन 

  • माघ स्नान करने वाले व्यक्ति को सात्विक रहना चाहिए। साथ ही संन्यासी की भांति संयम-नियम का पालन करना चाहिए। अनाचार करने वालों की संगत करें और धर्म का दृढ़ता से पालन करें। 
  • स्नान करने के लिए जाते समय व्यक्ति को अलग से गर्म वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। 
  • स्नान करने के उपरांत भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों की तृप्ति हेतु कामना करें। जल से निकलकर शंख-चक्रधारी भगवान विष्णु की पूजा करें और हवन करें। 

 

माघ माह में कल्पवास का महत्व 

माघ के पवित्र मास में पावन नगरी प्रयागराज में संगम तट पर निवास करके वहां स्नान-दान इत्यादि धार्मिक काम करना कल्पवासकहलाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भक्तिभाव से कल्पवास करने से सद्गति प्राप्त होती है। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी प्रयागराज में एक माह तक चलने वाला माघ मेला लगता है। कल्पवास में स्नान, हवन आदि के बाद ब्राह्मणों और असहाय लोगों को भोजन कराया जाता है।

 

दान का महत्व 

सनातन परंपरा में दान बेहद पुण्यकारी माना जाता है। कहा जाता है कि किसी निर्धन और असहाय लोगों को दान देने से कभी भी दानदाता के घर में धन की कमी नहीं होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। माघ माह में तिल और गुड़ का दान अवश्य करना चाहिए। दान के महत्व का उल्लेख हिन्दू धर्म के कई ग्रंथों में किया गया है। दान के महत्व को बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है- 

 

तुलसी पंछी के पिये घटे न सरिता नीर। 

दान दिये धन ना घटे जो सहाय रघुवीर।।

 

अर्थात् किसी पक्षी के पानी पीने से सरोवर या नदी का पानी कम नहीं होता। इसी प्रकार यदि भगवान की कृपा हो तो दान देने से कभी भी घर में धन की कमी नहीं होती। 

 

माघ माह में करें इन चीजों का दान

भोजन दान: माघ माह में ब्राह्मणों, दीन-दु:खी और असहाय लोगों को भोजन करना अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है। इसलिए स्नान के पश्चात इन सभी को पूरे मन के साथ भोजन कराएं और पवित्र माह में पुण्य के भागी बनें। इसके अलावा आप नारायण सेवा संस्थान के द्वारा दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने के यज्ञ में सहयोग कर सकते है। 

वस्त्र और शिक्षा दान : माघ माह में दीन-हीन और असहाय लोगों को कम्बल, अनेक प्रकार के पहनने वाले वस्त्र, रजाई, जूता एवं जो भी शीतनिवारक वस्त्र हैं, उनका दान करना चाहिए। इसके अलावा बच्चों को शिक्षा से संबंधित सामग्री, जैसे- पेन, पेंसिल, कॉपी, किताबें, स्कूली बैग इत्यादि दान करना चाहिए। आप नारायण सेवा संस्थान के माध्यम से निर्धन और गरीब बच्चों को वस्त्र और शिक्षा दान करने के लिए सहयोग कर सकते हैं।