

सनातन परंपरा में अमावस्या तिथि विशेष पुण्यदायी तिथि मानी जाती है। इस दिन स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान का विशेष महत्व है। अमावस्या के दिन श्रद्धालु बड़ी संख्या में पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं और सूर्य देव, शिव जी तथा भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। गरुण पुराण में अमावस्या की तिथि का महत्व विस्तार से बताया गया है। पुराण में कहा गया है कि इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है और वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है। इस दिन महिलायें यम देवता के निमित्त अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं।
साल 2024 में ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को मनाई जाएगी। ज्योतिष गणना के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या की शुरुआत 5 जून को सायं 7 बजकर 54 मिनट पर होगी और इसका समापन 6 जून को सायं 6 बजकर 7 मिनट पर होगा। इस हिसाब से उदयाथिति के अनुसार इस बार की ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को पड़ रही है।
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सूर्य देव, महादेव और भगवान विष्णु की पूजा करने तथा दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देने से साधक को कभी न समाप्त होने वाले पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
साल 2024 की ज्येष्ठ अमावस्या पर दो दुर्लभ संयोग का निर्माण हो रहा है। उनमें शिव वास और धृत योग शामिल हैं। मान्यता है कि शिव वास योग में विधि-विधान से पितरों की पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही धृति योग में दान-स्नान करना बेहद शुभ होता है।
हिन्दू धर्म में दान का अपना अलग महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, यदि साधक विशेष समय पर ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देते हैं तो प्रकृति के विधान के अनुसार उन्हें पूर्व में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। जब व्यक्ति अपना शरीर छोड़कर यमलोक की ओर प्रस्थान करता है तो उसके द्वारा किए गए पुण्य ही उसके साथ जाते हैं। बाकी सारी चीजें धरती रूपी भवसागर में यहीं छूट जाती हैं।
इसलिए ग्रंथों में सामर्थ्य के अनुसार दान देने की महत्ता बताई गई है। अथर्ववेद में कहा गया है, “सैकड़ों हाथों से कमाना चाहिए और हजार हाथों वाला बनकर समदृष्टि से दान देना चाहिए। अपने कर्मों का विस्तार इसी संसार में और इसी जन्म में करना चाहिए। हमें इसी संसार में और इसी जन्म में जितना संभव हो सके, दान करना चाहिए।”
कूर्मपुराण में दान का उल्लेख करते हुए कहा गया है
स्वर्गायुर्भूतिकामेन तथा पापोपशान्तये।
मुमुक्षुणा च दातव्यं ब्राह्मणेभ्यस्तथाअवहम्।।
अर्थात् स्वर्ग, दीर्घायु तथा ऐश्वर्य के अभिलाषी और पाप की शांति तथा मोक्ष की प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति को ब्राह्मणों और पात्र व्यक्तियों को भरपूर दान करना चाहिए।
इसलिए हर व्यक्ति को अपनी कमाई का कुछ हिस्सा परोपकार के लिए दान करना चाहिए। ज्येष्ठ अमावस्या दान देने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। इस दिन दान देने से दानदाता को भगवान की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
ज्येष्ठ अमावस्या पर दान देना एक महत्वपूर्ण कर्म माना जाता है। कहा जाता है कि इस शुभ दिन पर अन्न और भोजन का दान सर्वोत्तम है। ज्येष्ठ अमावस्या के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के दीन-हीन, असहाय, निर्धन बच्चों को भोजन दान करने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।
उत्तर: ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून 2024 को है।
उत्तर: ज्येष्ठ अमावस्या पर ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय निर्धन लोगों को दान देना चाहिए।
उत्तर: ज्येष्ठ अमावस्या के शुभ अवसर पर अन्न, भोजन, फल आदि दान में देना चाहिए।