सर्द सुबहें बहुत सुहानी होती हैं; मुलायम धूप, ठंडी हवा और एक गरम कंबल की गर्माहट। लेकिन सड़कों पर रहने वाले अनगिनत लोगों के लिए यह मौसम किसी उत्साह से नहीं, बल्कि ठिठुरन, दर्द और संघर्ष से भरा होता है। जब हम सब गरम कंबल ओढ़कर हीटर के पास बैठते हैं, तब कई लोग बिना किसी सहारे के ठंड से जूझ रहे होते हैं।
ऐसे में अगर हम एक छोटा-सा कदम उठाकर किसी जरूरतमंद को कंबल या स्वेटर दे दें, तो यह उनके लिए सिर्फ गर्माहट नहीं, बल्कि सम्मान, उम्मीद और सुकून भी लाता है।
ज़रा सोचिए, अगर आपको पूरी रात खुली सड़क पर ठंडी हवा के बीच सिर्फ एक पतली शर्ट में गुज़ारनी पड़े, तो कैसा लगेगा? यही हाल देश के कई शहरों में हजारों बेघर लोगों का होता है। सर्दियों में उन्हें ठंड, निमोनिया, और बीमारी का डर हर रात सताता है। रेलवे स्टेशन, पार्क, बस अड्डे और फुटपाथ उनके घर बन जाते हैं; बिना दीवारों के, बिना छत के। ऐसे में एक कंबल और एक स्वेटर किसी के जीवन में नई उम्मीद जग सकते हैं। उन्हें ठंड से बचा सकते हैं।
पिछले 40 वर्षों से नारायण सेवा संस्थान दिव्यांगों और गरीबों की सेवा में निरंतर जुटा हुआ है। हर साल की तरह इस बार भी नारायण सेवा संस्थान ने “सुकून भरी सर्दी” सेवा प्रकल्प की शुरुआत की है। इस पहल के तहत संस्था द्वारा कंबल, स्वेटर, मोजे, दस्ताने और टोपी जरूरतमंदों तक पहुंचाए जा रहे हैं। संस्थान के स्वयंसेवक लोगों तक जाकर स्वयं ये चीजें वितरित कर रहे हैं ताकि कोई भी ठंड से काँपते हुए रात न बिताए।
कड़कड़ाती ठंड में लोगों की मदद करने के लिए कंबल, स्वेटर, मोजे, दस्ताने और टोपी आदि एकत्र करके निर्धन लोगों में बाटें। या नारायण सेवा संस्थान के “सुकून भरी सर्दी” सेवा प्रकल्प में सहयोग करके जरूरतमंद लोगों तक ये चीजें पहुंचाने में सहयोग करें।
इस सर्दी बाँटें सुकून और इंसानियत
इस सर्दी किसी को ठंड में काँपने न दें। एक कंबल आपके लिए साधारण चीज़ हो सकती है, लेकिन किसी बेघर व्यक्ति के लिए वह ज़िंदगी की सबसे बड़ी राहत है। इस ठंड में आइए, गरमाहट बाँटें, सुकून बाँटें, और उम्मीद बाँटें।