सनातन परंपरा में मोहिनी एकादशी बेहद खास मानी जाती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के सभी दु:ख दर्द दूर हो जाते हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देने के से साधकों के ऊपर भगवान विष्णु की कृपा होती है और उन्हें मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोहिनी एकादशी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ती है ऐसे में इसे वैशाख शुक्ल एकादशी भी कहा जाता है।
साल 2025 में मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त 7 मई को सुबह 10 बजकर 19 मिनट से शुरू होगा। और इसका समापन अगले दिन 8 मई को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में सूर्योदय के समय का शुभ मुहूर्त ही मान्य किया जाता है। इसलिए उदयातिथि की अनुसार मोहिनी एकादशी 8 मई को मनाई जाएगी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन में अमृत कलश निकला था। इसको लेकर देवताओं और असुरों के बीच खींचतान होने लगी। हर कोई अमृत ग्रहण करके अमरत्व प्राप्त करना चाहता था। देवता इस दौड़ में असुरों से पीछे छूटे जा रहे थे। यह देखकर सभी ने भगवान विष्णु से इस समस्या का समाधान निकालने के लिए निवेदन किया। ऐसे में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरकर असुरों को सम्मोहित कर दिया और अमृत कलश देवताओं को दिला दिया। जिससे देवता अमृत पीकर अमर हो गए। भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप इसी एकादशी पर धरा था। इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।
इस एकादशी का महत्व स्वयं भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से बताया था। इस दिन पूरी श्रद्धा और मन के साथ व्रत करने से यज्ञ कराने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सहस्त्र गाय दान करने के बराबर पुण्य फल मिलता है।
हिन्दू धर्म में दान का बड़ा महत्व है, शास्त्रों में वर्णित है कि जब कोई जरूरतमंदों को दान देता है तब उसे पापों से मुक्ति मिलती है। इस दुनिया में आने के पश्चात लोगों को दान जरूर करना चाहिए, क्योंकि दान ही वो चीज है जो मृत्यु के पश्चात भी आपके साथ जाती है। अन्यथा बाकी सब तो यहीं रह जाता है। शास्त्रों और पुराणों में दान के महत्व का विस्तृत उल्लेख किया गया है।
अथर्ववेद में दान को लेकर कहा गया है-
शतहस्त समाहर सहस्त्रहस्त सं किर।
कृतस्य कार्यस्य चेह स्फातिं समावह।।
अर्थात् सौ हाथों से धन अर्जित करो और हजारों हाथों से धन को पात्र व्यक्तियों को बांटो। आपके दान कार्यों की इस जगत में प्रसिद्धि हो।
दान का उल्लेख करते हुए कूर्मपुराण में कहा गया है-
स्वर्गायुर्भूतिकामेन तथा पापोपशान्तये।
मुमुक्षुणा च दातव्यं ब्राह्मणेभ्यस्तथाअवहम्।।
अर्थात् स्वर्ग, दीर्घायु तथा ऐश्वर्य के अभिलाषी और पाप की शांति तथा मोक्ष की प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति को ब्राह्मणों और पात्र व्यक्तियों को भरपूर दान करना चाहिए।
मोहिनी एकादशी के शुभ अवसर पर अन्न और भोजन का दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मोहिनी एकादशी के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के दीन-हीन, असहाय, दिव्यानग बच्चों को भोजन दान के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।
प्रश्न: मोहिनी एकादशी का क्या महत्व है?
उत्तर: मोहिनी एकादशी पापों को धोने की शक्ति के लिए मनाई जाती है, जिसमें पिछले जन्मों के पाप भी शामिल हैं, और आध्यात्मिक मुक्ति (मोक्ष) प्रदान करती है। यह समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की याद में मनाया जाता है, जहाँ उन्होंने देवताओं को अमरता का अमृत प्रदान किया था। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से समृद्धि, खुशी और सांसारिक मोह से मुक्ति मिलती है।
प्रश्न: मोहिनी एकादशी व्रत का पालन कैसे करना चाहिए?
उत्तर: भक्तों को सूर्यास्त से पहले एक बार सात्विक भोजन करके दशमी (10वाँ चंद्र दिवस) पर तैयारी शुरू करनी चाहिए। एकादशी के दिन, जल्दी उठें, स्नान करें (अधिमानतः नदी में या कुशा घास के साथ), और भक्ति के साथ व्रत करने का संकल्प लें। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को फूल, फल और घर के बने भोग से प्रार्थना करें। अनाज, चावल, सेम और प्याज, लहसुन और मांस जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों से बचें। रात में मंत्रों का जाप करते हुए या भजन गाते हुए जागें। द्वादशी को सूर्योदय के बाद दूध पीकर व्रत खोलें और दान करें।
प्रश्न: मोहिनी एकादशी व्रत के दौरान कौन से खाद्य पदार्थ खाने की अनुमति है?
उत्तर: भक्त विभिन्न प्रकार के व्रत रख सकते हैं:
जलाहार: केवल पानी का सेवन किया जाता है।
क्षीरभोजी: दूध और दूध से बने उत्पादों की अनुमति है।
फलाहारी: आम, केले और सूखे मेवे जैसे फल खाने की अनुमति है। अनाज, चावल, बीन्स और तामसिक खाद्य पदार्थ सख्त वर्जित हैं।
प्रश्न: मोहिनी एकादशी पर कौन से दान करने की सलाह दी जाती है?
उत्तर: इस दिन दान करना बहुत फलदायी होता है। भक्त:
ज़रूरतमंदों को भोजन और अनाज दान कर सकते हैं।
वंचित बच्चों को कपड़े या शैक्षिक सामग्री भेंट कर सकते हैं।
सामाजिक कल्याण पर केंद्रित एनजीओ जैसे धर्मार्थ संगठनों का समर्थन करें। ये कार्य आध्यात्मिक गुणों को बढ़ाते हैं और पापों को धोते हैं।