पवित्र माह वैशाख की अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष स्थान है। इस अमावस्या को धर्म-कर्म, स्नान-दान और पितरों के तर्पण के लिए बेहद शुभ माना जाता है। सनातन परंपरा में वैशाख माह को बाकी सब महीनों में श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए इस माह में आने वाले त्यौहारों का अलग ही महत्व है।
कहा जाता है कि वैशाख अमावस्या के शुभ दिन पर पीपल के पेड़ की पूजा करने और जल अर्पित करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पवित्र वैशाख माह में माँ लक्ष्मी का पूजन भी बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही यह दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए उचित माना जाता है। इस दौरान यदि आप दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देते हैं तो इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और पितरों की आत्मा की शांति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वैशाख अमावस्या पर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। इससे कभी न समाप्त होने वाले पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल वैशाख अमावस्या 8 मई 2024 को मनाई जाएगी। जिसका शुभ मुहूर्त 7 मई को सुबह 11 बजकर 41 मिनट से लेकर 8 मई को 8 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। ऐसे में सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि 8 मई को प्राप्त हो रही है। हिंदू धर्म में किसी भी व्रत, पर्व या त्यौहार का निर्धारण उगते हुए सूर्य के समय की तिथि से होता है; इसलिए वैशाख अमावस्या 8 मई को मनाई जाएगी। 7 मई को वैशाख की दर्श अमावस्या होगी।
वैशाख अमावस्या में भोजन दान और जल का बड़ा महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस पवित्र दिन पर भोजन और जल का दान करने से व्यक्ति को तीर्थ करने के समान पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन दीन-हीन, असहाय लोगों को भोजन कराने के साथ ही लोगों को पानी पिलाएं और राहगीरों के लिए प्याऊ की व्यवस्था कराएं। ऐसा करने से साधकों के ऊपर भगवान की कृपा बनी रहती है और उनके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
सनातन परंपरा में दान देना बेहद महत्वपूर्ण कार्य है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने मन वचन और कर्म के अनुसार शुद्ध अंतः करण से ब्राह्मणों और दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देता है उसे उसका फल इस जन्म के साथ अगले जन्म में भी प्राप्त होता है। अमावस्या के पवित्र दिन पर दान देने से साधकों की खुशी बढ़ जाती है जो उनके जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लेकर आती है।
दान देने के महत्व का उल्लेख कई पौराणिक ग्रंथों में किया गया है। मनुस्मृति में कहा गया है-
तपः परं कृतयुगे त्रेतायां ज्ञानमुच्यते ।
द्वापरे यज्ञमेवाहुर्दानमेकं कलौ युगे ॥
अर्थात् सतयुग में तप, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में यज्ञ और कलियुग में दान मनुष्य के कल्याण का साधन है।
वैशाख अमावस्या के शुभ अवसर पर अन्न और भोजन का दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। साथ ही इस पुण्यकारी दिन पर वस्त्र और शिक्षा दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन दीन-हीन, असहाय बच्चों को भोजन कराने तथा वस्त्र दान करने के साथ शिक्षा से संबंधित चीजें दान करना पुण्यकारी माना जाता है। वैशाख अमावस्या के पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के भोजन दान, वस्त्र दान और शिक्षा दान के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।
उत्तर: साल 2024 में वैशाख अमावस्या 8 मई को मनाई जाएगी।
उत्तर : वैशाख अमावस्या पर पितरों के निमत्त दान-पुण्य और दीन-हीन, असहाय लोगों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।