अगर आप किसी धर्मार्थ संस्थान (NGO) को दान करते हैं और सोचते हैं कि इनकम टैक्स में छूट का लाभ उठाना मुश्किल है, तो यह ब्लॉग आपके लिए है। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80G के तहत फॉर्म 10BD और फॉर्म 10BE को अनिवार्य कर दिया है, ताकि दानदाता पारदर्शी तरीके से टैक्स छूट का लाभ ले सकें।
आइए जानते हैं कि यह फॉर्म कैसे काम करता है और आपको इससे क्या फायदा होगा।
सरल भाषा में कहें तो फॉर्म 10BE वह प्रमाण पत्र है, जो यह साबित करता है कि आपने किसी NGO को दान दिया है और इसके आधार पर आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। इसे वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है ताकि करदाता और NGO, दोनों की गतिविधियां पारदर्शी बनी रहें।
पहले दान देने के बाद सिर्फ एक साधारण रसीद मिलती थी, लेकिन अब सरकार ने नियमों में बदलाव किया है। अब दान प्राप्त करने वाले NGO को फॉर्म 10BD भरकर इनकम टैक्स विभाग को बताना होगा कि उन्होंने किससे कितना दान लिया। फिर यह संस्थान उसी जानकारी के आधार पर दानदाता को फॉर्म 10BE जारी करेगा, जिससे वह अपने टैक्स में छूट का दावा कर सकेगा।
मान लीजिए, नारायण सेवा संस्थान को अक्टूबर 2024 में किसी दानदाता से ₹21,000 का दान प्राप्त हुआ। चूंकि यह दान वित्त वर्ष 2024-25 का है, इसलिए संस्थान को फॉर्म 10BD भरकर इनकम टैक्स विभाग को इसकी जानकारी देनी होगी।
अब संस्थान को 31 मई 2025 तक दानदाता को फॉर्म 10BE जारी करना होगा, ताकि दानदाता अपने आयकर रिटर्न (ITR) में धारा 80G के तहत टैक्स छूट का दावा कर सके।
पहले दानदाता सिर्फ NGO की दी हुई रसीद के आधार पर टैक्स छूट का दावा कर सकते थे, लेकिन अब सरकार ने इसमें बदलाव किया है। अब:
अगर आप सामाजिक कार्यों में योगदान देते हैं, तो यह नियम आपके लिए बेहद फायदेमंद है। अब बिना किसी परेशानी के, आपकी दान राशि पर आपको टैक्स छूट मिल सकती है!
तो अगली बार जब भी आप किसी धर्मार्थ संस्थान को दान करें, तो फॉर्म 10BE प्राप्त करें और टैक्स में छूट का लाभ उठाएं!