सनातन धर्म में ग्रहण काल को अत्यंत पवित्र और प्रभावकारी माना गया है। ग्रहण का समय साधना, जप, ध्यान और दान के लिए विशेष महत्व रखता है। शास्त्रों में वर्णन है कि इस अवधि में किया गया पुण्यकर्म कई गुना फल देता है और जीवन के पाप-ताप को दूर करता है। वर्ष 2025 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात्रि में लगने जा रहा है। यद्यपि यह भारत में दिखाई नहीं देगा, फिर भी इसकी ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से बड़ी महत्ता है।
भारतीय समयानुसार यह ग्रहण 21 सितंबर की रात्रि 11 बजे प्रारंभ होकर 22 सितंबर की प्रातः 03:23 बजे समाप्त होगा। भारत में यह ग्रहण अदृश्य रहेगा, इसलिए यहाँ पर सूतक काल मान्य नहीं होगा। किंतु दुनिया के अन्य हिस्सों जैसे ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, अफ्रीका, हिंद महासागर, दक्षिण प्रशांत, अटलांटिक महासागर और न्यूजीलैंड आदि देशों में यह सूर्य ग्रहण प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकेगा।
इस ग्रहण की विशेषता यह है कि यह सर्वपितृ अमावस्या के दिन पड़ रहा है। पितृ पक्ष की अंतिम तिथि यानी सर्वपितृ अमावस्या को पितरों का विशेष रूप से स्मरण किया जाता है और उन्हें तर्पण, पिंडदान तथा दान के द्वारा विदाई दी जाती है। इस बार सूर्य ग्रहण और पितृ अमावस्या का संयोग साधकों के लिए अत्यंत दुर्लभ और पुण्यकारी है। शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रहण काल में किया गया दान साधक को पुण्य प्राप्ति का भागी बनाता है।
हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, फिर भी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल में कुछ कार्य विशेष रूप से शुभ फलदायी माने जाते हैं। ग्रहण के समय भगवान विष्णु या भगवान शिव के नाम का जाप करें। सूर्यदेव के मंत्र “ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।” का स्मरण करें। साथ ही ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान, ध्यान और दान अवश्य करें।
ग्रहण काल में जहाँ यह प्रत्यक्ष रूप से दिखता है, वहाँ भोजन करना, पकाना, सोना या शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। किंतु भारत में यह ग्रहण अदृश्य होने के कारण इन नियमों की बाध्यता नहीं है। यहाँ लोग केवल श्रद्धा के भाव से भगवान का स्मरण और दान कर सकते हैं।
ग्रहण के अवसर पर किया गया दान साधक के जीवन को पवित्र करता है। विशेषकर जब यह संयोग पितृ अमावस्या के साथ हो, तो दान का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन दीन-हीन, असहाय और जरूरतमंद लोगों को अन्न का दान करना असीम पुण्यदायी है।
21 सितंबर का सूर्य ग्रहण भले ही भारत में प्रत्यक्ष रूप से न दिखे, किंतु इसका आध्यात्मिक महत्व असंदिग्ध है। यह दिन केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आत्मिक शांति प्राप्त करने का अवसर है। ग्रहण और अमावस्या का यह संगम साधक के जीवन से पाप, रोग और दरिद्रता को दूर कर सकता है।
प्रश्न: सूर्य ग्रहण 2025 कब है?
उत्तर : साल 2025 का सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन लगने जा रहा है।
प्रश्न: सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा?
उत्तर: नहीं, सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
प्रश्न: क्या भारत में सूतककाल मान्य होगा?
उत्तर: नहीं, भारत में इस बार के सूर्य ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा।
प्रश्न: ग्रहण होने पर सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण कर सकते हैं?
उत्तर: भारत में सूर्य ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा, इसलिए पूरे दिन तर्पण किया जा सकता है।