28 July 2025

Sawan Purnima 2025: तिथि, समय, पूजा विधि और दान का महत्व

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सावन पूर्णिमा सनातन परंपरा में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है और हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण पुत्रदा एकादशी के बाद आता है। श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। इसी दिन रक्षा बंधन का त्योहार भी मनाया जाता है और दक्षिण भारत में यह दिन जल के देवता वरुणदेव को समर्पित माना जाता है।

इसलिए, दक्षिण भारत में इस दिन को नारली पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने और गरीबों व असहाय लोगों को दान करने से सभी प्रकार के कष्टों का नाश होता है और भक्त के सुखी जीवन का मार्ग प्रशस्त होता है।

इस ब्लॉग में हम श्रावण पूर्णिमा 2025, तिथि व समय, अनुष्ठान और दान के महत्व पर चर्चा करेंगे।

 

 

श्रावण पूर्णिमा 2025 तिथि और समय

Sawan Purnima 2025 shubh muhurat: इस वर्ष, श्रावण पूर्णिमा 8 अगस्त 2025 को प्रातः 2:12 बजे से प्रारंभ होकर 9 अगस्त 2025 को प्रातः 1:24 बजे समाप्त होगी। अतः उदया तिथि के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा 9 अगस्त को मनाई जाएगी।

 

सावन पूर्णिमा का महत्व 

Sawan Purnima ka mahatva: श्रावण पूर्णिमा का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर भगवान की पूजा करता है और गरीबों व असहाय लोगों को दान देता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। साथ ही, उसे जीवन के पापों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसी दिन देश भर में भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन भी मनाया जाता है।

चंद्रदोष से मुक्ति के लिए पूर्णिमा का यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, इस दिन अन्नदान के साथ-साथ गौदान का भी विशेष महत्व माना जाता है।

सावन पूर्णिमा पर दान का महत्व 

Sawan Purnima per daan ka mahatva: भारतीय संस्कृति में दान मानव जीवन का अभिन्न अंग है। दान केवल संपत्ति का ही नहीं बल्कि समय, ज्ञान और संसाधनों का भी हो सकता है। दान समाज में एकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है। इससे दानकर्ता को संतुष्टि और आत्मिक शांति मिलती है, वहीं जरूरतमंदों को मदद मिलती है।

 

विभिन्न धर्मग्रंथों में भी दान के महत्व का वर्णन किया गया है।

भगवान कृष्ण ने श्रीमद्गीता में कहा है:

“यज्ञदानतप: कर्म न त्यागं कार्यमेव तत्।”

(अर्थात यज्ञ, दान और तपस्या ऐसे कार्य नहीं हैं जिन्हें छोड़ा जा सके, इन्हें करना ही चाहिए।)

 

दान के महत्व का उल्लेख करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है-

प्रगट चारि पद धर्म के कलि महूँ एक प्रधान।

जेन केन बिधि दीन्हें दान करै कल्याण॥

(धर्म के चार चरण सत्य, दया, तप और दान कहलाते हैं, जिनमें से कलियुग में दान सबसे महत्वपूर्ण चरण है। किसी भी रूप में दान करने से भक्त को ही लाभ होता है।)

 

सावन पूर्णिमा पर इन वस्तुओं का दान करें

सावन पूर्णिमा पर दान का बहुत महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस शुभ दिन पर अन्न और अनाज का दान करना सबसे उत्तम होता है। श्रावण पूर्णिमा के पावन अवसर पर, नारायण सेवा संस्थान द्वारा असहाय और गरीब बच्चों को भोजन दान करने के प्रकल्प का सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ):-

प्रश्न: श्रावण पूर्णिमा 2025 कब है?

उत्तर: श्रावण पूर्णिमा 9 अगस्त 2025 को है।

प्रश्न: सावन पूर्णिमा पर किसे दान करना चाहिए?

उत्तर: सावन पूर्णिमा पर ब्राह्मणों और असहाय एवं गरीब लोगों को दान करना चाहिए।

प्रश्न: श्रावण पूर्णिमा के दिन किन वस्तुओं का दान करना चाहिए?

उत्तर: श्रावण पूर्णिमा के पावन अवसर पर अन्न, फल आदि का दान करना चाहिए।

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