अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होने जा रही है। इस प्राण प्रतिष्ठा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे। श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने पहले ही लोगों को बता दिया है कि नवनिर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पंडित गागाभट्ट ब्राह्मण के वंशज कराएंगे। ऐसे में लोग जानना कहते हैं कि आखिर पंडित गागाभट्ट कौन थे? जिनके वंशजों को इस महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वैदिक प्रवचन के सबसे बड़े जानकार थे पंडित गागाभट्ट
पंडित गागाभट्ट 17वीं शताब्दी के प्रकांड विद्वान पुरोहित थे। वो देशस्थ ऋग्वेदी ब्राह्मण थे। जो वैदिक प्रवचन के सबसे बड़े जानकार माने जाते थे। गागाभट्ट के पूर्वज भी प्रकांड विद्वान पंडित माने थे। मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले पंडित गागाभट्ट बाद में काशी में आकर बस गए थे। गागाभट्ट और उनके पूर्वजों ने कई स्मृति ग्रंथों की रचना की है।
शिवाजी महाराज का कराया था राज्याभिषेक
मराठा साम्राज्य को मजूबत करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक भी पंडित गागाभट्ट ने ही कराया था। तब इन्हें विश्वेश्वर भट्ट या गंग भट्ट के नाम से जाना जाता था। 17वीं शताब्दी में उनके ज्ञान की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी। शास्त्रों और कर्मकांड में उनके ज्ञान से सभी लोग प्रभावित थे। इसलिए उन्हें बड़े राजघरानों के द्वारा कर्मकांड के लिए आमंत्रित किया जाता था।
7 पवित्र नदियों के जल से कराया था राज्याभिषेक
पंडित गागाभट्ट के द्वारा साल 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक कराया गया था। कहा जाता है तब गागाभट्ट ने 7 पवित्र नदियों का जल मंगवाया था और कलश में भरकर शिवाजी के सिर पर रखवाया था। इस कलश में यमुना, सिंधु, गंगा, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा और कावेरी जैसी पवित्र नादियों का जल था। इसके बाद उन्होंने विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शिवाजी की राज्याभिषेक कराया था। इस समारोह में शामिल होने के लिए तब रायगढ़ में 50 हजार लोग एकत्रित हुए थे। राज्याभिषेक के दौरान ही शिवाजी को छत्रपति की उपाधि दी गई थी। जिसका अर्थ होता है राजाओं का मुखिया या क्षत्रियों का राजा।
121 ब्राह्मण कराएंगे रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा
22 जनवरी को होने वाली प्राण-प्रतिष्ठा में पंडित गागाभट्ट के वंशजों के अलावा काशी के विख्यात विद्वान आचार्य लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित भी मौजूद रहेंगे। इन सब के अलावा 121 कर्मकांडी ब्राह्मण पूरे विधि-विधान के साथ वैदिक मंत्रोच्चारों के द्वारा रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कराएंगे। जिसमें देश विदेश से आए अथितियों की मौजूदगी रहेगी।
राम मंदिर निर्माण में नारायण सेवा संस्थान की भूमिका
राम मंदिर निर्माण में नारायण सेवा संस्थान ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संस्थान ने अपने कोष से 11 लाख रुपये की राशि राम मंदिर के निर्माण में दी है।