10 January 2024

इस दिन है साल 2024 की पहली अमावस्या, ये उपाय करने से चमक जाएगी किस्मत

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साल 2024 की पहली अमावस्या 11 जनवरी को पड़ रही है। इसे पौष अमावस्या के नाम से जानते हैं। यह अमावस्या सनातन परंपरा में बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। पौष मास को छोटा पितृ पक्षभी कहा जाता है। जो लोग पितृ दोष से जूझ रहे हैं वो इस अमावस्या में भगवान की पूजा अर्चना करके पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं। पितृदोष सबसे कष्टकारी दोष में से एक है। पितृ दोष जातक की उन्नति में बाधा उत्पन्न करता है। यह साल 2024 की पहली अमावस्या है जिसमें भगवान की आराधना करके पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है। 

 

पौष अमावस्या का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पौष मास की अमावस्या की शुरुआत 10 जनवरी को रात 8 बजकर 10 मिनट से होगी। जो अगले दिन 11 जनवरी को शाम 5 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। पूरे देश में अमावस्या 11 जनवरी को मनाई जाएगी। 

 

पौष अमावस्या पूजा विधि

पौष अमावस्या पर प्रातः काल स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके सूर्य देव की आराधना करें। उगते हुए सूर्य को लाल पुष्प और काले तिल अर्पित करें। ये चीजें अर्पित करते समय पितरों को याद करें। ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितर प्रसन्न होते हैं। साथ ही पूजा करने लोगों के बिगड़े काम बनने लगते हैं। 

 

पौष अमावस्या के दिन ये उपाय करें

इस दिन पीपल की पूजा करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। पौष अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करें और जल चढ़ाएं। साथ ही दीन, दु:खी और दिव्यांग लोगों को दान करें। 

 

पौष अमावस्या पर दान का महत्व 

हर अमावस्या की तरह पौष अमावस्या पर भी दान का महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन दीन, दु:खी और दिव्यांग लोगों को दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन निर्धन लोगों को गर्म वस्त्र और भोजन दान करना चाहिए। 

 

पौष अमावस्या की कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण की सुंदर बेटी थी। लेकिन कई प्रयासों के बावजूद उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन ब्राह्मण के घर एक साधु आए। इस पर ब्राह्मण की पत्नी ने अपनी बेटी के विवाह न हो पाने के बारे में बताया। इस पर साधु ने कहा कि यहां से कुछ दूरी पर एक परिवार रहता है। यदि आपकी बेटी रोज उसके घर जाकर उसकी पत्नी की सेवा करे तो इसके विवाह में आ रही अड़चन दूर हो जाएगी। कन्या ने साधु की बात मान ली। वह कन्या प्रतिदिन साधु के बताए अनुसार, दूसरे घर जाने लगी और घर का काम काज करके अपने घर वापस लौट आती। प्रतिदन ऐसा होते देखकर दूसरे घर की स्त्री हैरान रह गई। वह सोंचने लगी कि आखिर कौन है जो उसके जागने के पहले उसके घर का सारा काम काज करके चली जाती है। 

एक दिन उस स्त्री ने ब्राम्हण की पुत्री को ऐसा करते हुए देख लिया और उससे पूछा कि वो कौन है? तब ब्राम्हण की पुत्री ने उसको सारी बात बताई। उस स्त्री ने ब्राह्मण की पुत्री का शीघ्र विवाह होने का आशीर्वाद दिया। लेकिन जैसे ही उसने कन्या को आशीर्वाद दिया; उसके पति की मृत्यु हो गई। यह देखकर कन्या बहुत दुखी हुई। कन्या ने पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करते हुए भगवान से उस स्त्री के पति को वापस लौटाने की प्रार्थना की। जिससे भगवान की कृपा हुई और स्त्री का पति फिर से जीवित हो गया। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस पौष अमावस्या के दिन स्नान-दान करके पीपल की परिक्रमा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।