19 December 2025

पौष पूर्णिमा 2026: स्नान-दान से प्राप्त करें पुण्य, शांति और मोक्ष का मार्ग

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सनातन धर्म में प्रत्येक तिथि का अपना विशिष्ट आध्यात्मिक महत्व है, किंतु पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से शुभ और पुण्यदायी माना गया है। इन्हीं पावन तिथियों में पौष माह की पूर्णिमा, जिसे पौष पूर्णिमा या शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, श्रद्धा, भक्ति और सेवा का अनुपम संगम प्रस्तुत करती है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि आत्म-शुद्धि, दान और लोक-कल्याण का भी संदेश देता है।

 

पौष पूर्णिमा का आध्यात्मिक स्वरूप

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन चंद्र देव अपने पूर्ण तेज और सौंदर्य के साथ आकाश में विराजमान होते हैं, जिससे वातावरण में विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि पौष पूर्णिमा के दिन किए गए स्नान, दान और जप-तप का फल कई गुना बढ़ जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और मन निर्मल होता है। जो श्रद्धालु किसी कारणवश तीर्थ स्नान नहीं कर पाते, वे घर पर ही पवित्र जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।

 

पौष पूर्णिमा 2026 की तिथि एवं शुभ मुहूर्त

वर्ष 2026 में पौष पूर्णिमा का पावन पर्व शनिवार, 3 जनवरी 2026 को मनाया जाएगा।

 

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 2 जनवरी 2026, सायं 6:53 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 3 जनवरी 2026, दोपहर 3:32 बजे

 

शाकंभरी पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

पौष पूर्णिमा को कई क्षेत्रों में शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन शाकंभरी देवी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। देवी शाकंभरी को अन्न की देवी कहा गया है, इसलिए इस दिन अन्नदान का अत्यंत महत्व है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और ऐश्वर्य का वास होता है। वहीं चंद्र देव को अर्घ्य देने से मानसिक शांति मिलती है और चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है।

 

कल्पवास का आरंभ

पौष पूर्णिमा के साथ ही प्रयागराज में कल्पवास का शुभारंभ होता है। हजारों श्रद्धालु एक माह तक संयम, साधना और सेवा के मार्ग पर चलते हुए कल्पवास करते हैं। मान्यता है कि कल्पवास करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

 

पौष पूर्णिमा पर दान का महत्व

सनातन परंपरा में दान को सर्वोच्च पुण्य कर्म माना गया है, विशेषकर पौष पूर्णिमा के दिन किया गया दान विशेष पुण्य फल प्रदान करता है। इस दिन अन्न, वस्त्र, कंबल और भोजन का दान विशेष फलदायी माना गया है।

 

धार्मिक ग्रंथों में दान की महिमा का उल्लेख करते हुए मनुस्मृति में कहा गया है—

तपः परं कृतयुगे त्रेतायां ज्ञानमुच्यते।

द्वापरे यज्ञमेवाहुर्दानमेकं कलौ युगे॥

अर्थात् सतयुग में तप, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में यज्ञ और कलियुग में दान ही मनुष्य के कल्याण का सर्वोत्तम साधन है।

 

पौष पूर्णिमा पर क्या करें दान

पौष पूर्णिमा पर अन्नदान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस पावन अवसर पर दीन-दुखियों और निर्धनों को भोजन कराएं। अन्न का यह दान भगवान नारायण को अर्पित सेवा के समान माना जाता है। इस दिन नारायण सेवा संस्थान के भोजन दान सेवा प्रकल्प में जरूरतमंद बच्चों को भोजन दान कर पुण्य के भागी बनें। 

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQS):- 

 

प्रश्न: पौष पूर्णिमा 2026 कब है?

उत्तर: साल 2026 में पौष पूर्णिमा 3 जनवरी को मनाई जाएगी। 

 

प्रश्न: पौष पूर्णिमा कौन से भगवान के लिए समर्पित है?

उत्तर: पौष पूर्णिमा भगवान विष्णु के लिए समर्पित है। 

 

प्रश्न: पौष पूर्णिमा पर किन चीजों का दान करना चाहिए?

उत्तर: पौष पूर्णिमा पर जरूरतमंदों को तिल, कंबल और भोजन का दान करना चाहिए।

 

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