स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को बंगाल के कोलकाता के कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके जन्मदिवस को हर साल देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। उन्हें भारतीय दर्शन को वैश्विक पटल पर पहचान दिलाने के लिए जाना जाता है। स्वामी विवेकानंद एक ओजस्वी वक्ता थे। उनका 39 वर्षीय जीवन कई मायनों में आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि हर युवा राष्ट्र के निर्माण में अपना सहयोग दे सकता है, ऐसे में देश के युवाओं को अपनी सामर्थ्य का उचित प्रयोग करते हुए राष्ट्र के निर्माण में योगदान देना चाहिए। उनका एक कथन युवाओं में विशेष तौर पर लोकप्रिय है, “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।”
स्वामी विवेकानंद शिक्षा के महत्व को भली भांति समझते थे। इसलिए उन्होंने हमेशा युवाओं के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि युवाओं को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा अचूक हथियार है, यह बेहद जरूरी है। जब तक जीना, तब तक कुछ न कुछ सीखते रहना। इस दुनिया में किसी व्यक्ति के लिए अनुभव ही दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षक है। स्वामी विवेकानंद का मानना था देश के युवा किसी भी समस्या से पार पा सकते हैं वो सिंह की भांति समस्याओं से लड़ सकते हैं। वो युवाओं से हमेशा साहसी बनने के लिए आह्वान करते थे।
स्वामी विवेकानंद के द्वारा अमेरिका के शिकागो में दिया गया भाषण सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां पर आयोजित की जा रही विश्व धर्म संसद में जैसे ही स्वामी विवेकानन्द मंच पर पहुंचे और उन्होंने वहां पर बैठे लोगों को “मेरे अमरीकी बहनों और भाइयों” के द्वारा संबोधित किया। सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। वहां लगातार तीन मिनट तक तालियां बजती रहीं। उन्होंने वहां उपस्थित विश्व के लोगों को भारतीय दर्शन से अवगत कराया। उन्होंने कहा, मैं हिन्दू अनुयायी होने पर गर्व का अनुभव करता हूं।
स्वामी विवेकानन्द महिलाओं के सम्मान करने पर विशेष जोर देते थे। महिलाओं के सम्मान के बारे में उनकी एक कहानी प्रचिलित है। अमेरिका के शिकागो शहर में उनके द्वारा दिए गए भाषण के बाद एक महिला उनसे इतनी प्रभावित हुई कि उसने स्वामी विवेकानन्द को विवाह का प्रस्ताव दे डाला। इस पर स्वामी विवेकानन्द ने विनम्रतापूर्वक कहा कि मैं एक सन्यासी हूं; मैं आपसे विवाह नहीं कर सकता। आप चाहें तो मुझे अपने पुत्र के रूप में स्वीकार कर सकती हैं।