मोक्षदा एकादशी सनातन परंपरा में महत्वपूर्ण एकादशी है। जो इस बार 22 दिसम्बर को मनाई जाएगी। इसे बैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस एकादशी पर लोग मोक्ष प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। इस दिन व्रत रखने वाले लोग श्रीमद्भगवद्गीता के 11वें अध्याय का पाठ भी करते हैं ताकि उन्हें व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो।
मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त
भक्तगणों के द्वारा मोक्षदा एकादशी 22 दिसम्बर को मनाई जाएगी। इसका शुभ मुहूर्त 22 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगा जो अगले दिन 23 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
मोक्षदा एकादशी पूजन विधि
इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतार भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। इस एकादशी पर पूजा करने के लिए प्रातः उठकर स्नान करना चाहिये। इसके बाद साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु को ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर श्रीहरि विष्णु की तस्वीर स्थापित करें। विधि विधान से भगवान की पूजा करें। साथ ही श्रीमद्भगवद्गीता के 11वें अध्याय का पाठ करें और अंत में अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु भगवान से प्रार्थना करें।
मोक्षदा एकादशी पर स्नान-दान का का महत्व
कहा जाता है कि मोक्षदा एकादशी पर जरूरतमंदों को दान-पुण्य करने से इस जगत के पालनहार भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही घर में सुख शांति का आगमन होता है।
इन चीजों का करें दान
अन्न और भोजन : एकादशी पर अन्न और भोजन का दान सर्वोत्तम माना जाता है। इसलिए इस दिन निर्धन और जरुरतमंद लोगों को भोजन कराना चाहिए साथ ही एकादशी के दिन आप उन्हें अनाज का दान भी दे सकते हैं। जिसमें गेंहू, गुड़, दाल, चावल, तिल, शक्कर, सरसों का तेल आदि हो सकता है।
गर्म वस्त्र : मोक्षदा एकादशी के समय ठंडी अपने चरम पर होती है। इसलिए इस समय जरूरतमंदों को गर्म वस्त्रों का दान करना चाहिए। इनमें कंबल, जूते, मोजे और स्वेटर हो सकते हैं। ऐसा करने से जीवन में सौभाग्य आता है और व्यक्ति निरंतर प्रगति करता है।
विद्या दान : विद्या दान एक ऐसा दान है जो बांटने से बढ़ता है। ऐसे में सभी को इस दिन जरुरतमंद बच्चों को पढ़ाई लिखाई से संबंधित चीजें और किताबें दान करना चाहिए। साथ ही अगर संभव हो तो इस दिन किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई का जिम्मा उठायें।
मोक्षदा एकादशी पर करें ये उपाय
मोक्षदा एकादशी के दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के पास दीपक जरूर प्रज्वलित करें। एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर जल अर्पित नहीं करना चाहिए। इस दिन पूजा में भगवान विष्णु की पूजा करते समय पीले रंग के फूल चढ़ाएं।
मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय में गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा का शासन था। एक दिन राजा को सोते समय स्वप्न आया कि उसके पिता नरक में दुख भोग रहे हैं और अपने पुत्र से उद्धार की याचना कर रहे हैं। अपने पिता की यह अवस्था देखकर राजा को बहुत पीड़ा हुई। उसने अपने दरबार के विद्वान ब्राह्मणों को बुलाकर स्वप्न का मतलब पूछा। ब्राह्मणों ने राजा से कहा कि उसे पर्वत मुनि के आश्रम में जाकर उनसे इस स्वप्न के बारे में बताना चाहिए और उनसे अपने पिता के उद्धार का उपाय पूछना चाहिए। राजा ने ऐसा ही किया। वो पर्वत मुनि के पास जा पहुंचे।
जब पर्वत मुनि ने राजा की बात सुनी तो उन्होंने राजा को बताया कि आपके पिता को उनके पूर्वजन्मों के कर्मों के कारण नरक प्राप्त हुआ है। अगर आप मोक्षदा एकादशी का व्रत करके उसका फल अपने पिता को अर्पण करते हैं तो उन्हें इस नरक से मुक्ति मिल सकती है। राजा ने पर्वत मुनि के कहे अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत किया; ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र आदि अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। जिसके परिणामस्वरूप राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई।