श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) के जन्म के उत्सव के रूप में भारत के साथ पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। सनातन परंपरा में भगवान कृष्ण को धर्म, करुणा और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। सखा और गोपियों के संग उनकी लीलाएं सदियों से लोगों को प्रेरित करती रही हैं।
इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त सोमवार तड़के 3 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होगा, जिसका समापन 27 अगस्त मंगलवार को 2 बजकर 19 मिनट पर होगा। भारतीय संस्कृति में उदयातिथि की मान्यता है, इसलिए इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी।
भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में कंस (Kans) के कारागार में हुआ था। श्रीमद भागवत कथा के वर्णन अनुसार द्वापरयुग में भोजवंशी राजा उग्रसेन (King Ugrasen) मथुरा में राज करते थे। उनका एक आततायी पुत्र कंस था और उनकी एक बहन देवकी (Devki) थी। देवकी का विवाह वासुदेव (Vasudev) के साथ हुआ था। एक दिन कंस ने अपने पिता को कारागार में डाल दिया और खुद मथुरा का राजा बन गया। भविष्यवाणी के अनुसार कंस की मृत्यु उसकी बहन देवकी की आठवीं संतान के हाथों होनी थी। इसलिए उसने वासुदेव और देवकी को कारागार में कैद कर लिया और एक के बाद एक देवकी की प्रारम्भिक सातो संतानों को मार दिया।
भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में हुआ। तब सभी पहरेदार निद्रा में चले गए। कारागार के दरवाजे स्वतः खुल गए और वासुदेव भगवान कृष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकाल कर यमुना पार करते हुए गोकुल के निवासी नन्द की पत्नी यशोदा के पास छोड़ आए। उन दिनों यशोदा को भी संतान प्राप्ति होने वाली थी, वासुदेव भगवान कृष्ण की जगह यशोदा की नवजात बेटी को लेकर वापस कारागृह में आ गए। ऐसे में नन्द और यशोदा ने भगवान कृष्ण को ही अपना पुत्र मान लिया।
उधर जैसे ही कंस को पता चला कि देवकी को संतान हुई है वह कारागृह में आया और देवकी के हाथों से उस कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटकना चाहा। लेकिन वह कन्या उसके हाथ से निकल कर आसमान में चली गई। उस कन्या ने कंस से कहा- “तुझे मारने वाला इस संसार में पैदा हो चुका है। तुझे जल्द ही तेरे पापों का दंड मिलेगा।”
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तजन व्रत रखते हैं और रात को जागरण करते हैं। घरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण की मूर्ति की पूजा की जाती है। बच्चे कृष्ण के रूप में तैयार होते हैं और मंदिरों में जाते हैं।
मथुरा और वृंदावन में इस पर्व की छटा देखते ही बनती है। इस दिन देशभर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं और अपने आराध्य देव के दर्शन करते हैं। साथ ही गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं और भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को धूम-धाम से मनाते हैं। दही–हांडी कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं। इस दिन मंदिरों में दिव्य आयोजन होते हैं, मधुर संगीत बजता है और रासलीलाएं होती हैं जो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
इस दिन प्रातः काल उठते ही स्नान करें और भगवान कृष्ण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद रात्रि के पूजन के लिए भगवान कृष्ण का झूला सुगंधित पुष्पों से सजाएं। इसके बाद मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का दूध, दही, घी, शहद, बूरा, पंचामृत एवं गंगाजल से अभिषेक करें, साथ ही नवीन सुंदर वस्त्र पहनाकर श्रृंगार करें। पूरे मन के साथ शंख घड़ियाल बजाते हुए भगवान की पूजा करें साथ ही मक्खन, मिश्री, पंजीरी का भोग अर्पित करें, अंत में आरती करके पूजन समाप्त करें और प्रणाम करके सुखी-समृद्ध जीवन का आशीर्वाद मांगें।
जब-जब इस संसार में धर्म की हानि होती है तब भगवान इस धरती में पुनः धर्म की स्थापना के लिए अवतरित होते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने कंस के वध के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया था। उन्होंने ना सिर्फ कंस का वध किया अपितु महाभारत युद्ध के दौरान सारथी बनकर अर्जुन के मार्गदर्शक का कार्य भी किया और पांडवों को युद्ध जीतने में मदद की। युद्ध भूमि कुरुक्षेत्र में अर्जुन को दिया गया उनका उपदेश श्रीमद् भगवत गीता के रूप में प्रसिद्ध है और सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है।
प्रश्न: श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है ?
उत्तर: इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त 2024, सोमवार को मनाया जाएगा।
प्रश्न: श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2024 तिथि और समय क्या है ?
उत्तर: अष्टमी तिथि 26 अगस्त 2024 को प्रातः 03:39 बजे प्रारम्भ होगी तथा 27 अगस्त 2024 को प्रातः 02:19 बजे समाप्त होगी।