13 March 2025

कब है होली भाई दूज? जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

होली की मस्ती जब थमने लगती है और रंगों का असर धीरे-धीरे कम होने लगता है, तब आता है एक और पावन पर्व—भाई दूज। यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है, जो हर साल होली के दो दिन बाद मनाया जाता है। जहां होली भाई-बहनों के बीच प्रेम  का रंग घोलती है, वहीं भाई दूज रिश्तों में अपनापन और आशीर्वाद की मिठास घोलने का अवसर देता है।

 

भाई दूज: एक पवित्र परंपरा

भाई दूज को भ्रातृ द्वितीयाया यम द्वितीयाभी कहा जाता है, क्योंकि यह पर्व चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए विशेष पूजा करती हैं और तिलक करके उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं।

 

कब है होली भाई दूज?

द्रिक पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 15 मार्च, 2025 की दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 16 मार्च 2025 की सायं 4 बजकर 58 मिनट पर होगा। सनातन परंपरा में उदयातिथि की मान्यता है इसलिए ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस साल होली भाई दूज का पर्व 16 मार्च 2025, दिन रविवार को मनाया जाएगा।

 

पौराणिक मान्यता: यमराज और यमुनाजी की कथा

भाई दूज से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कथा यमराज और यमुनाजी की है। मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर पहली बार इसी दिन गए थे। बहन ने प्रेमपूर्वक उन्हें तिलक किया, स्वादिष्ट व्यंजन परोसे और स्नेह से उनका स्वागत किया। यमराज इस आत्मीय सत्कार से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने बहन को वरदान दिया कि जो भी इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, उसे यमलोक का भय नहीं रहेगा। तभी से यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाने लगा।

 

रंगों के बाद रिश्तों की मिठास

होली में जहां रंगों की बौछार से चेहरा तरबतर हो जाता है, वहीं भाई दूज पर बहन का लगाया तिलक एक अलग ही भावनात्मक रंग भर देता है। यह दिन सिर्फ रीति-रिवाजों का नहीं, बल्कि उन अनकहे एहसासों का पर्व है, जो भाई-बहन की यादों और प्रेम से जुड़े होते हैं।

 

कैसे मनाया जाता है भाई दूज?

तिलक और आरती: बहनें अपने भाई को शुभ मुहूर्त में तिलक करती हैं और आरती उतारती हैं।

मिठाई और पकवान: इस दिन घरों में खास व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें गुजिया, मालपुआ और मिठाइयाँ प्रमुख होती हैं।

उपहार और प्रेम: भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और उनके सुखद भविष्य की कामना करते हैं।

स्नेह का संकल्प: यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने और एक-दूसरे के प्रति दायित्वों को निभाने का संकल्प लेने का भी दिन होता है।

 

भाई दूज महज एक रस्म नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते का एक अनमोल पल है। यह त्यौहार हमें याद दिलाता है कि चाहे दुनिया कितनी भी बदल जाए, यह रिश्ता हमेशा अटूट रहेगा। जब बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं, तो मानो वह अपने स्नेह और आशीर्वाद की अनमोल छवि उनके जीवन में अंकित कर देती हैं।

तो इस भाई दूज पर, रिश्तों की इस मिठास को खुलकर जिएं, बहन का स्नेह और भाई का संरक्षण हमेशा बना रहे, यही शुभकामनाएँ!