पूनाराम तराल एक 10 साल का बच्चा है, जो राजस्थान के उदयपुर जिले के लोहरिया गांव का रहने वाला है। लोहरिया गांव कोटड़ा तहसील की उमरिया पंचायत के अंतर्गत आता है। पूनाराम जन्म से दृष्टि बाधित है। जिसके कारण वो देख नहीं सकता था। उसकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आए जिसके कारण उसका जीवन चुनौतियों से भर गया। इसके बावजूद उसने जीवन में हार नहीं मानी और अपनी मेहनत और उम्मीद से वो कर दिखाया जिसकी आम लोग कल्पना भी नहीं कर सकते।
पूनाराम का बचपन दुखों की गाथा कहता है। पूनाराम ने जन्म ही लिया था कि 6 माह के भीतर भगवान ने उसके सर से पिता का साया छीन लिया। इसके बाद जब वह 6 साल का था तब खून की उल्टियां होने के कारण उसकी माँ की मौत हो गई। इससे भी अधिक दुख का पहाड़ तब टूटा जब उसका लालन पालन करने वाला बड़ा भाई माँ की मौत की मौत का सदमा बर्दास्त नहीं कर पाया और चल बसा। कुछ दिन बाद ही भाभी भी प्रसव के चार माह बाद कमजोरी के कारण चल बसी।
इन सब घटनाओं ने पूनाराम के जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। ऐसे समय में जब पूनाराम को किसी की मदद की सख्त जरूरत थी, उसे अपने आस पास कोई दिखाई नहीं दे रहा था।
गरीबी, लाचारी और दृष्टिबाधित होने के कारण जब पूनाराम दर-दर भटकने के लिए मजबूर हो गया तब पड़ोसी दंपति ने उसे सहारा दिया। उन्होंने उस बच्चे को काफी दिनों तक अपने साथ रखा। इसके बाद एक दिन गाँव की आशा कार्यकर्ता लीली देवी ने इस बच्चे की हालत को देखा। इसके बाद उसने इस बच्चे की सम्पूर्ण जानकारी नारायण सेवा संस्थान को उपलब्ध करवाई। इसके बाद सस्थान के स्वयंसेवकों ने गाँव पहुंचकर बच्चे की सारी जानकारी जुटाई और उसे अपने साथ उदयपुर ले आए। जहां उस बच्चे को जिला बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया गया। जहां बच्चे की समस्त जांचें करवाई गईं। सीडब्ल्यूसी की स्वीकृति मिलने के बाद पूनाराम को संस्थान के आवासीय विद्यालय में आश्रय दिया गया।
दृष्टिबाधित बच्चे की हालत को देखते हुए संस्थान ने निदेशक वंदना अग्रवाल की देखरेख में प्रतिष्ठित नेत्र चिकित्सालय ‘अलख नयन मंदिर’ में पूनाराम का उपचार कराने का निर्णय लिया। जहां डॉ. लक्ष्मण सिंह झाला के नेतृत्व में पूनाराम की सभी प्रकार की जांचें की गईं। जांचों के बाद डॉक्टर ने बताया कि कुपोषण का शिकार होने के कारण पूनाराम के शरीर में खून की कमी है। जिसके कारण वो आखों के ऑपरेशन के लिए फिट नहीं है। एक माह की गहन चिकित्सीय देखरेख के बाद 23 अप्रैल को पूनाराम की आँखों का पहला और 30 अप्रैल को दूसरा ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन से बच्चे की आँखों में रोशनी आ गई और उसने पहली बार इस दुनिया को देखा। सफल उपचार के बाद बच्चे ने बताया कि अब वो सब कुछ आसानी से देख पा रहा है। अब पूनाराम बिल्कुल स्वस्थ्य है और संस्थान के आवासीय विद्यालय में अध्ययन कर रहा है।