इनमें से शारदीय नवरात्रि को विशेष महत्व प्राप्त है क्योंकि यह पर्व देवी दुर्गा की उपासना का महा महोत्सव माना गया है। शारदीय नवरात्रि पर भक्तजन नौ दिनों तक माता रानी के विविध स्वरूपों की आराधना कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।
पितृ पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या पर होता है, जिसे पितरों की विदाई का दिन माना जाता है। इस दिन अपने ज्ञात-अज्ञात पितरों के मोक्ष, उनकी आत्मा की शांति और भगवान की कृपा के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करना अत्यंत पुण्यकारी बताया गया है।
पितृ पक्ष में श्रीमद्भागवत मूलपाठ का पाठ पितरों को शांति और मोक्ष दिलाने का एक पवित्र साधन है। इस ग्रंथ की भक्ति भरी कथाएं और उपदेश आत्मा को शुद्ध करते हैं, जिससे पितरों को तृप्ति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। जानें इस आध्यात्मिक अनुष्ठान की महत्ता!