कृत्रिम अंग दिव्यांग लोगों के जीवन में आशा की नई किरण लेकर आते हैं। ये अंग दिव्यांग लोगों के लिए वरदान है जो उनके जीवन को पूरी तरह से परिवर्तित कर देते हैं। पिछले कई वर्षों में कृत्रिम अंगों के क्षेत्र में व्यापक रूप से अनुसंधान हुआ है जिसके कारण अब ये अंग पहले की तुलना में ज्यादा अच्छे और आरामदायक हो चुके हैं। जिससे दिव्यांग लोगों को इन्हें उपयोग करने में किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीँ करना पड़ता है। कृत्रिम अंगों के माध्यम से दिव्यांग लोगों की जिंदगी में निम्न प्रकार से बदलाव आ रहा है।
जीवन की गुणवत्ता में परिवर्तन
पिछले कुछ सालों में कृत्रिम अंगों की सहायता से लोगों की जीवन में परिवर्तन देखने को मिला है। इन अंगों की सहायता से दिव्यांग लोग ज्यादा आरामदायक जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कृत्रिम अंगों ने अंग खोने वाले व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कृत्रिम अंग भावनात्मक चुनौतियों से निपटने में एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में काम करते हैं। इन अंगों की सहायता से दिव्यांग लोग भी अब अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं और चल फिर सकते हैं।
कार्यबल और समुदाय में भागीदारी
कृत्रिम अंग दिव्यांग लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक होते हैं। इन अंगों की लोगों के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कई लोग जो अंग विहीन होने कारण काम नहीं कर पाते थे वो अब कृत्रिम अंग लगने के बाद कार्यबल में अपनी भागीदारी दिखा रहे हैं। बहुत सारे लोग सशक्त हुए है और वो कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करके कार्यदल का हिस्सा बन रहे हैं। इसके अलावा दिव्यांग लोग कृत्रिम अंग प्राप्त करने के बाद खुद का काम धंधा भी कर रहे हैं।
इन सब के अलावा कृत्रिम अंग दिव्यांग लोगों को सामुदायिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभाने में सहायता करते हैं। कृत्रिम अंग लगने के बाद दिव्यांग व्यक्ति भी खेल, सामाजिक कार्यक्रम और स्वयंसेवा में सक्रिय रूप से योगदान देते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
भविष्य में कृत्रिम अंगों के विकास में महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावनाएं हैं। इनके ऊपर रिसर्च लगातार जारी है, जिससे ये अंग भविष्य में और भी ज्यादा आरामदायक होंगे और दिव्यांगजनों की कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी करेंगे।
कृत्रिम अंगों के निर्माण में नारायण सेवा संस्थान की भूमिका
कृत्रिम अंगों के निर्माण में नारायण सेवा संस्थान लगातार अच्छा काम कर रहा है। आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ समन्वय बिठाकर संस्थान बड़ी मात्रा में दिव्यांगजनों की भलाई के लिए कृत्रिम अंगों का निर्माण कर रहा है। अभी तक संस्थान ने लाखों दिव्यांग लोगों को नि:शुल्क कृत्रिम अंग वितरित किए हैं। जिनसे दिव्यांगजनों को नई जिंदगी मिली है। नि:शुल्क कृत्रिम अंग मिलने के बाद दिव्यांगजन भी अन्य लोगों की तरह अपनी जिंदगी जी रहे हैं।
इस दुनिया में कृत्रिम अंग दिव्यांग लोगों के लिए आशा और प्रगति की किरण बनकर उभरे हैं। कृत्रिम अंग दिव्यांगों का आत्मविश्वास बढ़ाने का कार्य करते हैं। साथ ही ये अंग दिव्यांगों में गतिशीलता बहाल करने और समुदाय में उनके प्रति अपनेपन की भावना को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी का विकास जारी है, वैसे-वैसे भविष्य में दिव्यांग लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए और भी ज्यादा आरामदायक कृत्रिम अंग विकसित होने की संभावनाएं हैं। कृत्रिम अंगों के माध्यम से हम समाज में अलग-थलग पड़े दिव्यांग लोगों के जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं।