ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की गति विशेष महत्व रखती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं उसे धनु संक्रांति के नाम से जाना जाता है। धनु संक्रांति से ही मलमास की शुरुआत मानी जाती है। धनु संक्राति में भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करके आप कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। साथ ही इस दिन स्नान-दान से सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
इस दिन मनाई जाएगी धनु संक्राति
हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल 2023 की अंतिम संक्रांति 16 दिसम्बर 2023 को मनाई जाएगी। इसे धनु संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस संक्रांति का शुभ मुहूर्त प्रातः 4:09 बजे से शाम 05:27 बजे तक रहेगा। इस दिन भगवान सूर्य की विशेष कृपा के लिए लोगों को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए।
धनु संक्रांति से शुरू हो जाएगा मलमास
धनु संक्रांति से मलमास की शुरुआत हो जाएगी। जिसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा। इसलिए मलमास में किसी भी मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। इस दौरान विवाह, मुंडन, ग्रह प्रवेश, यज्ञोपवीत संस्कार आदि नहीं करना चाहिए। सूर्य देव के धनु राशि में प्रवेश करते ही हेमंत ऋतु का शुरुआत मानी जाती है। इसलिए इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। जैसे ही सूर्य देव 15 जनवरी 2024 को धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे वैसे ही मलमास समाप्त हो जाएगा।
धनु संक्रांति पर स्नान-दान का महत्व
शास्त्रों में संक्रांति तिथि पर गंगा स्नान करने का महत्व है। साथ ही कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति गंगा में स्नान करने के लिए नहीं जा पाता तो वह अपने पास की पवित्र नदियों या सरोवरों में स्नान कर सकता है। इसके साथ ही इस तिथि पर जप-तप और दान का भी विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन स्नान के बाद दीन, दु:खी और जरूरतमंदों को दान करने से भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धनु संक्रांति पर निर्धन लोगो को अनाज, भोजन और गर्म वस्त्र आदि दान करना चाहिए। इस दिन सूर्य देव लोगों को आरोग्यता का वरदान प्रदान करते हैं। धनु संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा करने से लोगों को करियर और कारोबार में विशेष लाभ प्राप्त होता है।
पितरों को मिलेगी शांति
धनु संक्रांति के दिन गायत्री मंत्र का जप करने से पितरों को शांति मिलती है। साथ ही सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और लोगों के कष्टों को दूर करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन बिना नमक के भोजन करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
ये काम करने से रोगों से मिलेगी मुक्ति
धनु संक्राति के दिन जल से भरे कलश में इत्र डालकर भगवान शिव को अर्पित करने से रोगों से छुटकारा मिलता है। साथ ही इस दिन सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से भगवान सभी को आरोग्यता का वरदान प्रदान करते हैं।
धनु संक्रांति सनातन परंपरा के अन्य त्यौहारों की तरह मनाया जाता है। साथ ही यह पर्व समाज में समझ और सद्भावना की भावना पैदा करने में योगदान देता है।