भारतीय परंपरा में किसी व्यक्ति के द्वारा प्रतिदिन की जाने वाली चीजों को दिनचर्या कहा जाता है। प्रकृति के चक्र को ध्यान में रखते हुए दिनचर्या एक आदर्श दैनिक कार्यक्रम है। आयुर्वेद में दिनचर्या के शुरुआती घंटों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। दिन के शुरुआती घंटे ही आपका दिन का मूड निर्धारित करते हैं।
आयुर्वेद में माना जाता है कि दिनचर्या शरीर और दिमाग के लिए एक अनुशासन है जो शरीर में उच्च प्रतिरक्षा विकसित करती है और उसे मजबूत करती है। सरल और स्वस्थ दिनचर्या की मदद से, कोई भी व्यक्ति अपने दिमाग को नियंत्रित कर सकता है। साथ ही शरीर में व्याप्त दोषों को दूर कर सकता है और अपने दिन की शुरुआत ताजगी और स्फूर्तिदायक तरीके से कर सकता है।
सुबह जल्दी जागने और दिनचर्या का पालन करने से आपको दिन की आनंदमय शुरुआत करने में मदद मिलेगी। आप अपनी दिनचर्या में निम्नलिखित चीजों का पालन करके अपने दिन की आनंदमय शुरुआत कर सकते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में जागकर
प्रतिदन सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पहले उठना चाहिए। ताकि सूर्योदय होते ही आप भगवान सूर्य के साथ अपनी दिनचर्या का तालमेल बैठा सकें। ब्रह्म मुहूर्त को भगवान ब्रह्मा के समय के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि उस समय चेतना शुद्ध होती है और यह जागने के लिए सबसे उत्तम समय होता है।
सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटा पहले वातावरण में एक बड़ा बदलाव देखा जाता है। जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता है सूर्य की किरणों के साथ वातावरण में ऊर्जा भर जाती है। ब्रह्म मुहूर्त में जागने वाले लोगों के मन में आशा, प्रेरणा और शांति प्रकट होती है। इस समय वातावरण शुद्ध, शांत और सुखदायक होता है और सोने के बाद मन तरोताजा रहता है।
सांस की शक्ति
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ताजी हवा में सांस लेना भी दिनचर्या के लिए बेहद फायदेमंद होता है। कहा जाता है कि इस समय सांस लेने से या प्राणायाम करने से मस्तिष्क अधिक प्रबल होता है। साथ ही व्यक्ति का दिन स्फूर्तिदायक बीतता है।
सकारात्मक शक्ति
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपनी हथेलियों की रेखाओं को देखने की प्राचीन परंपरा का पालन करें। दोनों हाथों को एक साथ रगड़ें और हथेलियों को धीरे-धीरे अपने चेहरे पर ले जाएं। इससे आपके शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा कवच बन जाएगा जो पूरे दिन आपको नकारात्मक प्रभावों से बचाएगा।
प्राणायाम और व्यायाम करें
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ताजी हवा में बैठकर प्राणायाम करना एक अच्छा विकल्प है। सुबह उठकर तब तक प्राणायाम करें जब तक सांस दोनों नासिका छिद्रों से समान रूप से प्रवाहित न हो जाए। अपनी ऊर्जा को हृदय चक्र या तीसरी आंख पर केंद्रित करते हुए ध्यान करें। सुबह की ताजी हवा में थोड़ी देर धीमी गति से टहलें। प्राणायाम करते समय सुगंधित फूलों के बीच बैठें।
शारीरिक व्यायाम में आमतौर पर सूर्य नमस्कार जैसे कुछ योग आसन और प्राणायाम जैसे श्वास व्यायाम शामिल होते हैं। इसके साथ ही व्यायाम में टहलना और तैरना भी शामिल होता है। सुबह-सुबह व्यायाम शरीर और दिमाग में ठहराव को दूर करता है, पाचन अग्नि को मजबूत करता है, वसा को कम करता है। व्यायाम करने से आपको आनंद की अनुभूति होती है। हर किसी को सुबह के समय अपनी क्षमता के अनुसार व्यायाम करना चाहिए।