आज के समय में कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) केवल एक नैतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन चुका है। ग्राहक, कर्मचारी और समाज अब यह चाहते हैं कि कंपनियां सामाजिक भलाई में भी सक्रिय भूमिका निभाएं। इस दृष्टिकोण में, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के साथ साझेदारी करना कंपनियों के लिए एक बेहद प्रभावी तरीका बनकर उभरा है।
यहाँ CSR के तहत NGOs के साथ काम करने के 5 बड़े फायदे दिए गए हैं, जो न केवल सामाजिक उत्थान को बढ़ावा देते हैं बल्कि कंपनियों को भी मजबूत बनाते हैं:
किसी सामाजिक मुद्दे से जुड़ने का मतलब है अपने ब्रांड को ग्राहकों और कर्मचारियों के दिलों से जोड़ना। KPMG इंडिया के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 75% भारतीय उपभोक्ता उन ब्रांड्स को प्राथमिकता देते हैं जो सामाजिक भलाई को बढ़ावा देते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि एक टेक कंपनी डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने वाले NGO के साथ साझेदारी करती है, तो यह न केवल शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देती है बल्कि अपने ब्रांड को सामाजिक रूप से संवेदनशील और जागरूक साबित करती है। इससे ग्राहक वफादारी और सकारात्मक ब्रांड छवि को बढ़ावा मिलता है।
CSR के तहत NGO के साथ काम करना आपके ब्रांड की छवि को एक नई ऊँचाई पर ले जा सकता है।
Nielsen Global Corporate Sustainability Report के अनुसार, 66% ग्राहक उन ब्रांड्स पर अधिक खर्च करने के लिए तैयार हैं जो सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को निभाते हैं। टाटा जैसे ब्रांड इसका उदाहरण हैं, जिन्होंने NGOs के साथ सफल साझेदारी से अपनी ब्रांड वैल्यू को बढ़ाया है। यह न केवल बाजार में भरोसा पैदा करता है बल्कि ग्राहक विश्वास को भी मजबूत करता है।
CSR गतिविधियों में कर्मचारियों को शामिल करना न केवल उनकी संतुष्टि को बढ़ाता है बल्कि एक सामुदायिक भावना भी पैदा करता है। Deloitte के अध्ययन के अनुसार, ऐसे कर्मचारी जो सामाजिक परियोजनाओं में भाग लेते हैं, वे लोगों के साथ अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं। यदि कंपनियां NGO के साथ साझेदारी करके अपने कर्मचारियों को योगदान के अवसर प्रदान करती हैं, तो यह उनके भीतर एक सकारात्मक और जिम्मेदार संगठन का अनुभव पैदा करता है।
NGO के साथ साझेदारी करने से कंपनियों को स्थानीय समुदायों के बारे में गहराई से समझने में मदद मिलती है।
NGO अक्सर उन समुदायों के साथ वर्षों का जुड़ाव रखते हैं जिनके लिए वे काम करते हैं। यह कंपनियों को उन बाजारों में अपनी सेवाओं या उत्पादों को बेहतर ढंग से पेश करने का मौका देता है।
उदाहरण के तौर पर, एक खाद्य कंपनी पोषण संबंधी जागरूकता फैलाने वाले NGO के साथ काम करके यह समझ सकती है कि विभिन्न समुदायों की आहार संबंधी जरूरतें क्या हैं, और अपने उत्पादों को उसी हिसाब से विकसित कर सकती है।
भारत में, पंजीकृत NGOs को दिए गए दान आयकर अधिनियम की धारा 80G के तहत कर छूट के योग्य होते हैं। PwC रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत CSR कार्यक्रम वाली कंपनियों ने 20% अधिक लाभदायक प्रदर्शन किया है। इससे स्पष्ट होता है कि NGO के साथ रणनीतिक साझेदारी न केवल समाज के लिए लाभदायक है, बल्कि कंपनी की वित्तीय स्थिति को भी बेहतर बनाती है।
CSR के तहत NGO के साथ साझेदारी करना केवल एक दायित्व नहीं, बल्कि एक अवसर है। यह सामाजिक और व्यावसायिक विकास के बीच एक मजबूत पुल बनाता है।
तो आइए, CSR को केवल एक औपचारिकता मानने के बजाय, इसे सामाजिक परिवर्तन और व्यावसायिक सफलता का माध्यम बनाएं। NGO के साथ साझेदारी से एक बेहतर कल का निर्माण करें और अपने व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाएँ।
प्रश्न: व्यवसाय साझेदारी के लिए उपयुक्त एनजीओ कैसे ढूंढ सकते हैं?
उत्तर: व्यवसाय उन गैर सरकारी संगठनों पर शोध कर सकते हैं जो उनके मूल्यों और सामाजिक लक्ष्यों के अनुरूप हैं। गिवइंडिया या गाइडस्टार जैसे प्लेटफ़ॉर्म प्रतिष्ठित संगठनों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं।
प्रश्न: व्यवसाय एनजीओ को किस प्रकार का दान दे सकते हैं?
उत्तर: व्यवसाय एनजीओ की जरूरतों के आधार पर स्वयंसेवी प्रयासों के माध्यम से धन, उत्पाद, सेवाएं या कर्मचारी समय दान कर सकते हैं।
प्रश्न: एनजीओ दान के प्रभाव को कैसे मापते हैं?
उत्तर: कई एनजीओ प्रभाव का आकलन करने के लिए सेवा प्राप्त लाभार्थियों की संख्या, सामुदायिक कल्याण में परिवर्तन और कार्यक्रम मूल्यांकन जैसे मैट्रिक्स का उपयोग करते हैं।
प्रश्न: क्या गैर-सरकारी संगठनों को दान देते समय व्यवसायों के लिए कोई कानूनी आवश्यकताएं हैं जिनका पालन किया जाना चाहिए?
उत्तर: हां, व्यवसायों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन एनजीओ के साथ वे साझेदारी करते हैं वे पंजीकृत हैं और कर कटौती के लिए आयकर अधिनियम जैसे प्रासंगिक कानूनों का अनुपालन करते हैं।
प्रश्न: क्या गैर सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी से कंपनी की बाजार पहुंच बढ़ाने में मदद मिल सकती है?
उत्तर: बिल्कुल! गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करने से समुदाय की जरूरतों के बारे में जानकारी मिल सकती है, जिससे व्यवसायों को नए बाजारों के लिए अपने उत्पादों या सेवाओं को तैयार करने में मदद मिल सकती है।