फूला को मिला सहारा

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सफलता की कहानी: फूला

फूला दस वर्ष पूर्व झुलस जाने के कारण एक पांव की विकृति को लेकर काफी दुखी थी। पंजे की विकृति से उसके लिए ठीक से चल पाना दुभर था। लेकिन पिछले दिनों संस्थान में बनाए गए सुविधाजनक कैलीपर से उसकी तकलीफ काफी हद तक दूर हो गई है और वह खुश है।
मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के गांव गढ़ी-पड़रिया निवासी फूला खुसवाल (25) घर में बत्ती गुल होने से चिमनी (लोहे की डिब्बी का दीपक) जलाए कामकाज निपटा रही थी। इधर-उधर आते-जाते ठोकर लगने से चिमनी लुढ़क गई और मिट्टी का तेल उसके दाएं पांव पर पड़ने से कपड़ों ने आग पकड़ ली। हादसा गंभीर होता उससे पहले उसके चीखने पर भाई ने आकर कपड़ों की आग को बुझा दिया, लेकिन पांव बुरी तरह झुलस गया। अस्पताल में एक माह इलाज चला, किन्तु फफोलों में संक्रमण के कारण पांव में विकृति आ गई। पांव पंजे तक ऐसा मुड़ा की चलना-फिरना कठिन हो गया। आसपास के अन्य अस्पतालों में इलाज हुआ, किन्तु राहत नहीं मिली। दैनन्दिन कार्य के साथ स्कूल आना-जाना भी प्रभावित हो गया।

इसी दौरान मां चल बसी। पिता और भाई ने उसे दुःख का अहसास न हो, इसकी हर संभव कोशिश की। गाँव के ही एक व्यक्ति द्वारा नारायण सेवा संस्थान में निःशुल्क उपचार, उपकरण, कैलीपर, कृत्रिम अंग की जानकारी मिलने पर फूला इसी वर्ष फरवरी में भाई के साथ संस्थान आई। जहां विशेषज्ञ चिकित्सक ने जांच कर सर्जरी को तो कारगर नहीं माना लेकिन उसके लिए ऐसा कैलीपर तैयार करवाया, जिससे वह पैरों पर आसानी से खड़ी होकर चलने लगी। यहीं उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए निःशुल्क सिलाई का तीन माह का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।