निरंजन मुकुंदन | सफलता की कहानियाँ | राष्ट्रीय पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप

एक सामान्य लड़का बना पैरा ओलंपियन!

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सफलता की कहानी: निरंजन मुकुंदन

भारतीय पैरा तैराक निरंजन मुकुंदम 27 साल के हैं और बेंगलुरु, कर्नाटक के रहने वाले हैं। उन्हें बचपन से ही क्लबफुट और स्पाइना-बिफिडा की समस्या है। उनकी अब तक 30 सर्जरी हो चुकी हैं। डॉक्टरों ने उन्हें तैराकी सीखने और पैरों को खींचने वाले व्यायाम करने की सलाह दी। इसलिए उन्होंने 8 साल की उम्र में तैराकी शुरू कर दी थी। इतनी प्रैक्टिस और कुछ करने का जुनून आज उन्हें बहुत अच्छे मुकाम पर ले गया है। वह अब तक 50 से अधिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय तैराक हैं।

निरंजन ने नारायण सेवा संस्थान और पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 21वीं राष्ट्रीय पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में भाग लिया। तीन दिनों तक उनके साथ आए कई दिव्यांगों ने अपने जोश, जज्बे और हैरतअंगेज प्रदर्शन से देश-दुनिया को चकित कर दिया। तालियों के बीच निरजंन को पुरस्कृत भी किया गया।

वह नारायण सेवा संस्थान के बहुत आभारी हैं कि उन्हें ऐसा अद्भुत मंच मिला जिससे उन्हें पूरी दुनिया के सामने अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। इसके अलावा, उन्होंने जूनियर वर्ल्ड चैंपियन, टोक्यो पैरा ओलंपिक अवॉर्ड, एशियन गेम्स मेडल और कई अन्य बड़े पुरस्कार भी जीते हैं। ऐसे अद्भुत तैराक के साथ जुड़कर नारायण सेवा बहुत खुश है।