बबली की जिन्दगी में
बदलाव

Start Chat


बबली को मिला नवजीवन

 

नियती ने उसे छोटी उम्र में ही अनायास पोलियो का शिकार बना दिया और सिर से माता-पिता का साया भी छीन लिया।
यह दुखद पहलू है बिहार निवासी बबली कुमारी (24) की जिन्दगी का। जब वह आपबीती सुनाती है तो आंखो से आंसू बहने लगते हैं। उन्होंने बताया कि जब वे 5 वर्ष की थीं, तब बुखार आया जो पोलियो का दंश देकर दोनों पैरों से अपाहिज बना गया। कुछ ही महीनों बाद माता-पिता की भी अचानक मृत्यु हो गई। इस स्थिति में भुआ और मामा ने सहारा तो दिया परन्तु पोलियो के कारण शारीरिक अक्षमता से पढ़ाई-लिखाई नहीं कर पाई। पिछले 19 साल से घिसट-घिसट किस तरह अपनी जिन्दगी बिता रही हूँ, वह सिर्फ मैं ही जानती हूँ।

 

इसी बीच एक दिन सोशल मीडिया पर नारायण सेवा संस्थान के निःशुल्क पोलियो सुधार ऑपरेशन एवं सेवा प्रकल्पों की जानकारी मिली, जो नया जीवन देने वाली साबित हुई। 2020 में संस्थान आने पर दोनों पैरों की जांच के बाद डॉक्टरों ने दोनों पैरों के बारी-बारी से ऑपरेशन किये। करीब एक साल के इलाज बाद घिसटती हुई जिन्दगी से छुटकारा मिला। अब कैलिपर के सहारे खड़ी हो चलने में समर्थ हूँ। संस्थान ने निःशुल्क ऑपरेशन के साथ ही निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण दे मुझे आत्मनिर्भर भी बना दिया। संस्थान के ही नारायण सिलाई सेंटर में काम कर जीविकोपार्जन के साथ बचत भी कर लेती हूँ।

 

बबली बताती  हैं  कि संस्थान ने मुझे न सिर्फ अपने पांवों पर खड़ा किया बल्कि जीने का हौसला भी दिया है। माता-पिता का जो प्यार नहीं मिला वो भी यहां मिला। मुझे दिव्यांगता मुक्त कर आत्मनिर्भर बनाकर समाज में एक नई पहचान दिलाने वाले इस संस्थान के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मेरे पास पर्याप्त शब्द भी नहीं  हैं।