अनिल कुमार | सफलता की कहानियाँ | निःशुल्क नारायण कृत्रिम अंग | भारत में सर्वश्रेष्ठ एनजीओ

कृत्रिम पांव से
बढ़ा हौसला

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सफलता की कहानी: अनिल पटेल

एक भयानक सड़क हादसे ने अनिल की जिन्दगी को बैसाखी के हवाले कर दिया। छोटी उम्र में ही ऐसी विकट स्थिति का सामना होने से इन्हें अपना भविष्य बिखरता सा लगने लगा।

बीकानेर के रहने वाले 16 वर्षीय अनिल कुमार अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन बिता रहे थे। तीन साल पहले हुए एक सड़क हादसे में बुरी तरह से जख्मी होने पर आसपास के लोगों ने नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया। सूचना मिलने पर परिजन अस्पताल पहुंचे तो बेटे की स्थिति देख सब हतप्रभ रह गए। उपचार के दौरान बाएं पांव को कटवाना पड़ा। हंसती-खेलती जिन्दगी पलभर में एक पांव पर टिक कर हरकदम बैशाखी के सहारे चलने पर मजबूर हो गई। दिव्यांगता का दर्द झेलते-झेलते ये हीनभावना का शिकार होने लगे, लेकिन मई 2023 में इन्हें नारायण सेवा संस्थान से निःशुल्क कृत्रिम अंग वितरण की सोशल मिडिया से मिली जानकारी इनके जीवन को आगे बढ़ाने वाली साबित हुई। 27 जून को संस्थान आने पर संस्थान के विशेष ऑर्थोटिक एंड प्रोस्थेटिक टीम ने पांव का माप ले 3 दिन में कृत्रिम पांव तैयार कर इन्हें खड़ा कर दिया।

अनिल बताते है कि अब मैं दूसरों की तरह आराम से चल एवं सभी तरह के काम कर सकता हूँ, संस्थान एवं दानदाताओं का बहुत-बहुत धन्यवाद जिनके के सहयोग से मुझे नया जीवन तो मिला ही है साथ ही बेहतर भविष्य के लिए भी सहारा मिला।