श्रावण मास… वह दिव्य कालखंड जब संपूर्ण सृष्टि भगवान शिव की भक्ति में लीन हो जाती है। यह मास केवल व्रत, उपवास और रुद्राभिषेक का ही नहीं, बल्कि सेवा, करुणा और दान का भी प्रतीक है। इस महीने में किया गया हर शुभ कार्य कई गुना फलदायक होता है। भगवान शिव, जिन्हें “आशुतोष” कहा जाता है, अपने भक्तों के छोटे से प्रयास से भी प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें असीम आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
भगवान शिव को प्रसन्न करना अत्यंत सरल है। वे भोलेनाथ हैं। अपने भक्तों की भावना मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं। शिव जी को जल, बेलपत्र, भस्म और रुद्राक्ष अत्यंत प्रिय हैं। प्रतिदिन प्रातः स्नान कर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और सच्चे मन से प्रार्थना करें।
श्रावण मास में सोमवार का व्रत रखें शिव चालीसा का पाठ करें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें। साथ ही पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करें या पंडित से करवाएं। कहा जाता है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले साधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है एवं भगवान शिव की कृपा उसके ऊपर हमेशा बनी रहती है।
श्रावण मास में की गई हर पुण्य क्रिया का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है। विशेषकर जब आप किसी भूखे, दीन-हीन, असहाय बच्चे को भोजन कराते हैं, तो वह आपकी आत्मा को भी शांति और तृप्ति से भर देता है।
भगवान शिव स्वयं करुणा और दया के प्रतीक हैं। वे भोलेनाथ हैं; उन्हें भाव से की गई छोटी-सी सेवा भी प्रिय है। यदि आप शिवभक्ति में सच्चे हैं, तो किसी दीन-हीन, असहाय को भोजन करवाना आपकी भक्ति को पूर्ण बना देता है। यह एक ऐसा पुण्य है, जिससे आप शिव कृपा के पात्र बनते हैं और आपके जीवन से दरिद्रता, दुःख और संकट दूर होने लगते हैं।
श्रावण मास के इस पवित्र अवसर पर जरूरतमंद बच्चों को भोजन कराकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें अपने जीवन को धन्य बनाएं।
श्रावण मास में करें सहयोग और पाएं शिव का आशीर्वाद
वर्ष में एक दिन 50 दिव्यांग एवं निर्धन बच्चों हेतु दोनों समय का भोजन सहयोग
वर्ष में एक दिन 50 दिव्यांग एवं निर्धन बच्चों हेतु एक समय का भोजन सहयोग
एक बार 100 दीन-हीन, असहाय, दिव्यांग बच्चों के लिए भोजन सहयोग
श्रावण माह में दीन-हीन, असहाय, दिव्यांग बच्चों हेतु सामान्य सहयोग