रक्षा बंधन, जिसे राखी का त्यौहार भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक है।
यह त्यौहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं।
भाई इस अवसर पर अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी सुरक्षा का वचन देते हैं।
रक्षा बंधन का त्यौहार हमेशा श्रावण पूर्णिमा को ही मनाया जाता है।
इस साल श्रावण पूर्णिमा 19 अगस्त को पड़ रही है, ऐसे में रक्षा बंधन भी इसी दिन मनाया जाएगा।
हालांकि, इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया है।
19 अगस्त को प्रातः 3 बजकर 4 मिनट से भद्रा लग जाएगी और यह दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक रहेगी।
धर्माचार्यों और ज्योतिषियों के अनुसार, भद्रा काल में रक्षा बंधन मनाना उचित नहीं माना जाता।
इसलिए 19 अगस्त को भद्रा समाप्त होने के बाद ही रक्षा बंधन मनाना चाहिए।
भद्रा काल के बाद बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकती हैं।
रक्षा बंधन का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं।
महाभारत में द्रौपदी और श्रीकृष्ण से जुड़ी कथा सबसे अधिक प्रसिद्ध मानी जाती है।
शिशुपाल वध के पश्चात जब श्रीकृष्ण की उंगली कट गई और रक्त बहने लगा, तब द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया।
उस समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वे सदैव उसकी रक्षा करेंगे।
यही वचन रक्षा बंधन के महत्व को दर्शाता है, जहां एक धागा प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक बन जाता है।
श्रीकृष्ण ने अपना वचन निभाते हुए कुरु राजसभा में द्रौपदी के चीरहरण के समय उसकी रक्षा की।
इस कारण रक्षा बंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं रहता।
यह त्यौहार समाज के हर रिश्ते में प्रेम, सम्मान और सुरक्षा की भावना को मजबूत करता है।
यह हमें भाई-बहन के बीच अटूट विश्वास और स्नेह की याद दिलाता है।
वर्तमान समय में रक्षा बंधन विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।
कुछ बहनें दूर रहने वाले भाइयों को राखी भेजती हैं, वहीं कई बहनें देश की रक्षा करने वाले सैनिकों को भी राखी भेजती हैं।
रक्षा बंधन का महत्व सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह त्यौहार हमें एक-दूसरे की सुरक्षा और सम्मान के प्रति जागरूक करता है।
रक्षा बंधन पारिवारिक एकता को बढ़ावा देता है और भाई-बहन के रिश्ते को और अधिक मजबूत बनाता है।
आज के बदलते सामाजिक और पारिवारिक ढांचे में इस पर्व की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है।
यह त्यौहार हमें हमारे संस्कारों, मूल्यों और सांस्कृतिक परंपराओं की याद दिलाता है।
रक्षाबंधन पर राखी बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
प्रत्येक पूर्णिमा किसी न किसी धार्मिक या सांस्कृतिक उत्सव के लिए समर्पित होती है।
रक्षा बंधन के दिन सबसे महत्वपूर्ण है कि आप इस पर्व को पूरे भाव और प्रेम के साथ मनाएं।
सभी भाई और बहनें एक-दूसरे के प्रति प्रेम, कर्तव्य और सुरक्षा का संकल्प लेते हुए यह पावन पर्व मनाएं।
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):-
प्रश्न: रक्षाबंधन 2024 कब है?
उत्तर: रक्षाबंधन 2024 का पर्व 19 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा।
यह दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है।
प्रश्न: रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कब है?
उत्तर: रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त भद्रा काल समाप्त होने के बाद होता है।
इसलिए बहनों को 19 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 29 मिनट के बाद ही राखी बांधनी चाहिए।