हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कला में होता है और उसकी चांदनी की अमृत वर्षा धरती पर होती है। कहा जाता है कि इस पवित्र तिथि पर पूजा-पाठ, स्नान-दान और जप-तप करने से भक्तों को भगवान की कृपा प्राप्त होती है। ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली इस पूर्णिमा को वट सावित्री पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलायें अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।
ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त
वर्ष 2025 में ज्येष्ठ अमावस्या 27 मई को होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह 26 मई को दोपहर 12:11 बजे शुरू होगी और 27 मई 2025 को सुबह 8:31 बजे समाप्त होगी। इसलिए निर्जला अमावस्या 27 मई को मनाई जाएगी।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
Jyeshtha Purnima importance: ज्येष्ठ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर वट वृक्ष की पूजा के साथ ही मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करवाना तथा ब्राह्मणों और दीन-हीन, असहाय लोगों को दान देना बेहद शुभ माना जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान-दान और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी के आशीर्वाद से घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती है।
इसके साथ ही ज्येष्ठ पूर्णिमा आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी एक उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन ध्यान, मंत्र जाप और अध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर दान का महत्व
Importance of donation on Jyeshtha Purnima: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर दीन-हीन, असहाय, निर्धन लोगों को दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन दान किए गए दान का फल कई गुना बढ़ जाता है। हिन्दू धर्म के शास्त्रों में दान देने के महत्व का विस्तार से वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि दान देने वाले लोगों को पापों से मुक्ति मिलती है और उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दान का उल्लेख करते हुए अथर्ववेद में कहा गया है-
“दान-धर्मत परो धर्मो भत्नम नेहा विद्धते”
अर्थात् दान धर्म से बड़ा न तो कोई पुण्य है न ही कोई धर्म।
भगवान के प्रिय दिन पूर्णिमा पर दान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। यदि आपका धन किसी के काम आता है तो वह बदले में आपको खुशी देता है। क्योंकि किसी जरुरतमंद को दान देकर आपने उसकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की है।
हिन्दू धर्म ग्रंथों में दान के बारे में कहा जाता है-
सुक्षेत्रे वापयेद्बीजं सुपात्रे निक्षिपेत् धनम् ।
सुक्षेत्रे च सुपात्रे च ह्युप्तं दत्तं न नश्यति ॥
अच्छे खेत में बीज बोना चाहिए, सुपात्र को धन देना चाहिए। अच्छे खेत में बोया हुआ बीज और सुपात्र (दीन-हीन, असहाय, निर्धन) को दिया हुआ दान कभी नष्ट नहीं होता।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन करें इन चीजों का दान
Donate these things on the day of Jyestha Purnima: ज्येष्ठ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भोजन का दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। साथ ही इस पुण्यकारी दिन पर वस्त्र और शिक्षा दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन दीन-हीन, असहाय बच्चों को भोजन कराने तथा वस्त्र दान करने के साथ शिक्षा से संबंधित चीजें दान करना चाहिए। यदि आप सक्षम हैं तो इस दिन किसी निर्धन बच्चे को शिक्षित करने के लिए संकल्प लें। ज्येष्ठ पूर्णिमा के इस पुण्यकारी अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के भोजन दान, वस्त्र दान और शिक्षा दान के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न: ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है?
उत्तर: ज्येष्ठ पूर्णिमा 26 मई, 2025 को मनाई जाएगी।
प्रश्न: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए?
उत्तर: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान-दान के साथ भगवान विष्णु का स्मरण और पूजा अवश्य करें।
प्रश्न: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर कौन सा काम नहीं करना चाहिए?
उत्तर: ज्येष्ठ दिन भूलकर भी तामसिक भोजन न करें।
प्रश्न: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर किन लोगों को दान देना चाहिए?
उत्तर: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर दीन-हीन, असहाय निर्धन लोगों को दान देना चाहिए।
प्रश्न: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन किन चीजों का दान करना चाहिए?
उत्तर: ज्येष्ठ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अन्न, भोजन, वस्त्र, फल, वस्त्र, शिक्षा से संबंधित सामग्री आदि दान में देना चाहिए।