सर्व पितृ अमावस्या, जिसे महालया अमावस्या भी कहते हैं, पितृ पक्ष की अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। इस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध और दान किया जाता है। सनातन धर्म में इस दिन को पितरों को विदाई देने और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का द्वार खोलने वाला दिन कहा गया है।
शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन विधिपूर्वक किया गया श्राद्ध और दान पितरों की आत्मा को तृप्त करता है और अनजाने में रह गए पितृ ऋण से मुक्ति दिलाता है। यह दिन उन आत्माओं के लिए भी विशेष माना जाता है, जिनका विधिपूर्वक श्राद्ध नहीं हो पाया है।
सूर्य ग्रहण
इस बार सर्व पितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा, इसलिए इसका सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा। हालांकि इस बार सूर्य ग्रहण और पितृ अमावस्या का संयोग साधकों के लिए अत्यंत दुर्लभ और पुण्यकारी है। ग्रहण काल में किया गया दान साधक को पुण्य प्राप्ति का भागी बनाता है।
पितृ तर्पण
सर्व पितृ अमावस्या के इस पावन अवसर पर अपने ज्ञात-अज्ञात पितरों का तर्पण कराएं और पितृ ऋण से मुक्ति का पुण्य प्राप्त करें।
पितृ तर्पण कराएं।