मोक्षदा एकादशी पर दान देकर दीन-हीन, असहाय, दिव्यांग बच्चों को कराएं आजीवन भोजन (वर्ष में एक दिन)
मोक्षदा एकादशी
सनातन धर्म में एकादशी तिथियां विशेष पुण्य प्रदान करने वाली मानी गई हैं। उन्हीं में से मोक्षदा एकादशी, जो मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है, अत्यंत पुण्यकारी और मोक्ष प्रदान करने वाली तिथि मानी गई है। यह वही पावन एकादशी है, जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। इस दिन का व्रत, उपवास और भक्ति साधक के समस्त पापों का विनाश कर, उसे मोक्ष के पथ पर अग्रसर करता है।
मोक्षदा एकादशी का पौराणिक महत्व
पद्म पुराण और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में मोक्षदा एकादशी का महत्व विस्तार से बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अर्जुन को इस व्रत के महत्व को बताया कि जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत, उपवास, दान और भक्ति करता है, उसके सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और वह भगवान विष्णु के परम धाम को प्राप्त करता है। मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से पूर्वजों की आत्मा को भी शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दान, सेवा और परोपकार का महत्व
मोक्षदा एकादशी केवल उपवास और जप का ही नहीं, बल्कि यह सेवा, दया और करुणा का भी दिन है। इस दिन भूखे, जरूरतमंद, अनाथ, दिव्यांग और वृद्धजनों की सेवा करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है—
‘यज्ञदानतप:कर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत्।
यज्ञो दानं तपश्चैव पावनानि मनीषिणाम्॥‘
अर्थात, यज्ञ, दान और तप—ये तीनों कर्म कभी भी त्यागने योग्य नहीं हैं, बल्कि इन्हें करना चाहिए क्योंकि ये साधक को पवित्र और पुण्यवान बनाते हैं।
मोक्षदा एकादशी पर दान और सेवा का पुण्य
इस पावन अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के दिव्यांग, अनाथ और जरूरतमंद बच्चों के लिए आजीवन भोजन (वर्ष में एक दिन) सेवा प्रकल्प में सहभागी बनें और मोक्षदा एकादशी का पुण्य प्राप्त करें। आपकी सेवा और दान से उनके जीवन में आशा, प्रेम और करुणा का संचार होगा और आपके पुण्य में अपार वृद्धि होगी।