कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पुण्यकारी दिन है। यह दिन विशेष रूप से पूजा-अर्चना, तपस्या, दान और सेवा कार्यों के लिए आदर्श माना जाता है। कार्तिक माह की पूर्णिमा का महत्व तब और बढ़ जाता है जब इसे भगवान विष्णु, शिव, और गंगा माता की पूजा का दिन भी माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से गंगा स्नान और दीपदान करने का महत्व है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष का मार्ग खोलता है।
कार्तिक पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने और दीप जलाने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए दान और सेवा कार्यों से जीवन में शांति, संतुलन और खुशहाली आती है। विशेष रूप से इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का महत्व है। कार्तिक माह में किए गए अच्छे कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है, और इस दिन किए गए पुण्य कर्मों से व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
दान का महत्व पौराणिक दृष्टि से
पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है—
यस्य स्मरणमात्रेण हरिर्विनिहता नर:।
तस्य सर्वं भवेत् पुण्यं बृहस्पत्यायुतं यथा॥
अर्थात, जो व्यक्ति इस दिन भगवान के नाम का स्मरण करता है, उसे हर प्रकार के पुण्य का फल मिलता है।
दीन-दुखियों और दिव्यांग बच्चों को भोजन कराकर बनें पुण्य के भागी
कार्तिक पूर्णिमा का दिन पुण्य कार्य करने, दान देने और सेवा भाव से जीवन में शांति और संतुलन स्थापित करने का उत्तम समय है। इस दिन विशेष रूप से दिव्यांग, असहाय और जरूरतमंद बच्चों को भोजन कराना बहुत ही शुभ माना जाता है।
नारायण सेवा संस्थान के दिव्यांग बच्चों को आजीवन भोजन (वर्ष में एक दिन) कराने के सेवा प्रकल्प में सहभागी बनें और इस पवित्र दिन का लाभ उठाएं। आपके इस पुण्य कार्य से न केवल आपके जीवन में समृद्धि आएगी, बल्कि समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने में भी मदद मिलेगी।