हरियाली अमावस्या
हरियाली अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष रूप से प्रकृति पूजन, पितृ तर्पण और पुण्य कर्मों का पावन अवसर है। श्रावण मास की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या कहा जाता है, जो धरती पर हरियाली, जीवन और ऊर्जा का संदेश लाती है। इस दिन श्राद्ध, तर्पण, वृक्षारोपण, सेवा, दान और तपस्या का अत्यंत महत्व है।
इस समय जब प्रकृति अपने हरे-भरे स्वरूप में सज रही होती है, तब यह दिन आत्मचिंतन, पर्यावरण संरक्षण और पितृ शांति के लिए उत्तम माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन किए गए सत्कर्म कई गुना फलदायी होते हैं और पितरों का आशीर्वाद सहज ही प्राप्त होता है।
हरियाली अमावस्या का महत्व
हरियाली अमावस्या का दिन संयम, दान और सेवा के लिए सर्वोत्तम है। इस दिन वृक्षारोपण, पितृ तर्पण, गंगा स्नान, मौन साधना और जरूरतमंदों की सेवा करने से पुण्य प्राप्त होता है। यह दिन प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और वनों, जल स्रोतों तथा प्राणियों की रक्षा का संकल्प लेने का है। पुराणों के अनुसार इस दिन किया गया सात्त्विक दान घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का कारण बनता है। दान के महत्व का उल्लेख करते हुए विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है-
अन्नदानं परं दानं बहुधा न श्रियं लभेत।
तस्मात् सर्वप्रयत्नेन अन्नं दातव्यं कृतात्मना॥
अर्थात् अन्नदान सबसे श्रेष्ठ दान है, इसके द्वारा व्यक्ति महान समृद्धि प्राप्त करता है। इसलिए हर संभव प्रयास से अन्न का दान अवश्य करना चाहिए।
दिव्यांग और असहायों को कराएं भोजन
हरियाली अमावस्या के पावन दिन पर दिव्यांग, असहाय और दीन-दुखियों को भोजन कराना पितरों की आत्मा की शांति तथा ईश्वर की कृपा पाने का सरल और सच्चा मार्ग है। नारायण सेवा संस्थान के सेवा प्रकल्प में सहभागी बनें और दिव्यांग, असहाय बच्चों को आजीवन भोजन (वर्ष में एक दिन) कराने का पुण्य अर्जित करें। यह सेवा आपके जीवन में भी हरियाली, आनंद और शांति लाएगी।