देवउठनी एकादशी| दिव्यांग बच्चों को भोजन करवाने में मदद करें
  • +91-7023509999
  • +91-294 66 22 222
  • info@narayanseva.org
Narayan Seva Sansthan - देवउठनी एकादशी

आपके द्वारा दिए गए दान से जरूरतमंद दिव्यांग बच्चों को भोजन कराया जाएगा

देवउठनी एकादशी

X
राशि = ₹

सनातन धर्म में एकादशी व्रतों का महत्व अत्यधिक है। इनमें से देवउठनी एकादशी, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी गई है। यह दिन भगवान विष्णु के जागरण का प्रतीक है, जब भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा के बाद इस दिन जागते हैं। इस दिन का व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को संसारिक सुख, पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

देवउठनी एकादशी का पौराणिक महत्व

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते हैं, जिसके कारण यह व्रत विशेष रूप से पुण्यकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से उसे जीवन में सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इस दिन का व्रत करने से व्यक्ति के समस्त जन्मों के पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु के परम धाम में स्थान प्राप्त होता है।

 

दान, सेवा और परोपकार का महत्व

देवउठनी एकादशी का व्रत केवल उपवास, पूजा और जप का ही नहीं, बल्कि यह सेवा और परोपकार का भी प्रतीक है। इस दिन दीन-दु:खी, जरूरतमंदों, असहायों, दिव्यांगों, वृद्धजनों और अनाथों को भोजन और अन्य सहायता देने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है। श्रीमद्भागवद्गीता में दान का महत्व बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने कहा—

‘यज्ञदानतप:कर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत्।
यज्ञो दानं तपश्चैव पावनानि मनीषिणाम्॥’

अर्थात, यज्ञ, दान और तप—ये तीनों कर्म त्यागने योग्य नहीं हैं, बल्कि इन्हें अवश्य करना चाहिए क्योंकि ये मनीषियों को पवित्र करते हैं।

 

देवउठनी एकादशी पर दान और सेवा का पुण्य

इस पावन दिन पर नारायण सेवा संस्थान के दिव्यांग, अनाथ और जरूरतमंद बच्चों को आजीवन भोजन (वर्ष में एक दिन) कराने के सेवा प्रकल्प में सहभागी बनें और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।

देवउठनी एकादशी

एकादशी पर भोजन कराने के सेवा प्रकल्प में सहयोग करें

आपके द्वारा दिए गए दान से जरूरतमंद दिव्यांग बच्चों को भोजन कराया जाएगा


इमेज गैलरी
चैट साझा करें