पितृ पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या पर होता है, जिसे पितरों की विदाई का दिन माना जाता है। इस दिन अपने ज्ञात-अज्ञात पितरों के मोक्ष, उनकी आत्मा की शांति और भगवान की कृपा के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करना अत्यंत पुण्यकारी बताया गया है।
पितृ पक्ष में श्रीमद्भागवत मूलपाठ का पाठ पितरों को शांति और मोक्ष दिलाने का एक पवित्र साधन है। इस ग्रंथ की भक्ति भरी कथाएं और उपदेश आत्मा को शुद्ध करते हैं, जिससे पितरों को तृप्ति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। जानें इस आध्यात्मिक अनुष्ठान की महत्ता!
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह कालखंड भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक रहता है। शास्त्रों में वर्णन है कि इस पुण्य समय में पितृ देव पृथ्वी पर अपने वंशजों के समीप आते हैं और उनसे तृप्ति की अपेक्षा रखते हैं।