30 September 2025

Bhai Dooj 2025: इस दिन है भाई दूज, जानें तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

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दीपवाली के 5 दिवसीय पर्व में भाई दूज का बड़ा ही महत्व होता है। यह त्यौहार दीपावली के ठीक बाद द्वितीया तिथि को आता है। इसलिए यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते, विश्वास और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन बहन दूज की पूजा करती है और भाई के माथे पर तिलक लगाकर लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख समृद्धि की कामना करती है। इसकए बाद भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है और उपहार देकर प्रेम और आशीर्वाद को बहन का समक्ष प्रकट करता है। 

 

भाई दूज 2025 कब है? 

साल 2025 में भाई दूज का त्यौहार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। अगर शुभ मुहूर्त की बात करें तो कार्तिक मास के शक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर को रात्रि 8 बजकर 16 मिनट से शुरू हो जाएगी। जिसका समापन अगले दिन 23 अक्टूबर को रात्रि 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। चूंकि हिन्दू धर्म में उदयातिथि का महत्व है इसलिए भाई दूज का पर्व 23 कतूबर को मनाया जाएगा। साथ ही भाई को तिलक करने का मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। 

 

भाई दूज का महत्व और पौराणिक कथा

भाई दूज को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसे सनातन धर्म में बताया जाता है। सूर्य देव की पुत्री यमुना के भाई यमराज थे। यमुना अपने भाई से बहुत स्नेह करती थीं। जिसके कारण बार-बार अपने घर पर आमनतरित करती थीं और भोजनके लिए कहती थीं। लेकिन व्यस्त काम-काज होने के कारण यमराज उनके घर पर नहीं आ पाते थे। एक दिन यमराज अपनी बहन के आग्रह पर उनके घर गए।

यमराज को अपने घर पर देखकर यमुना बहुत प्रसन्न हुईं। यमुना ने अपने भाई का विधिपूर्वक स्वागत किया। तिलक किया और स्वादिष्ट भोजन बनाकर उन्हें पूरे स्नेह के साथ भोजन कराया। यमराज ने अपनी बहन को वर मांगने को कहा। तह यमुना ने उनसे कहा कि हर वर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया को वह उनके घर जरूर आएं। साथ ही इस दिन जो बहनें भाई के माथे पर तिलक करें उनके भाई दीर्घायु और समृद्ध हों। यमराज ने अपनी बहन को यह वरदान दे दिया। इसकए बाद हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाने लगा। चूंकि यह यमराज से संबधित है इसलिए इस पर्व को यम द्वितीया भी कहा जाता है। 

 

भाई दूज की पूजा विधि 

भाई दूज के दिन प्रातः काल स्नान करें। इस दिन भाइयों का यमुना नदी में स्नान करना बेहद शुभ होता है। इसके बाद बहनें गोबर या मिट्टी की बनाई दूज का पूजन करें। जिसमें भगवान गणेश और यम देवता का पूजा शामिल होती है। पूजा के बाद भाई को किसी लकड़ी के पाटे पर बैठाकर उसका हल्दी, चावल और रोली से तिलक करें और भाई के हाथ में कलावा बाँधें। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएं। साथ ही भाई बहन के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करे। 

भाई दूज प्रेम और पारिवारिक एकता का उत्सव है। यह पर्व हमें जीवन में रिश्तों की महत्ता को समझना और उन्हें सहेजना सिखाता है। आज के आधुनिक समय में भी भाई दूज का स्वरूप बदल सकता है, लेकिन इसका भावनात्मक अर्थ वही है बहन का स्नेह, भाई की रक्षा का वचन और परिवार की खुशहाली का संकल्प।

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