20 September 2025

Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्व पितृ अमावस्या पर कब करें तर्पण? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और सूर्य ग्रहण का समय

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सनातन धर्म की परंपरा में पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। यह वह कालखंड है, जब हमारे पूर्वज अपने वंशजों के आह्वान से प्रसन्न होकर इस पृथ्वी पर आते हैं और तर्पण, श्राद्ध तथा पिंडदान के माध्यम से तृप्ति प्राप्त करते हैं। पितृ पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या पर होता है, जिसे पितरों की विदाई का दिन माना जाता है। इस दिन अपने ज्ञात-अज्ञात पितरों के मोक्ष, उनकी आत्मा की शांति और भगवान की कृपा के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करना अत्यंत पुण्यकारी बताया गया है।

 

सर्व पितृ अमावस्या की तिथि और मुहूर्त

वर्ष 2025 में सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर, रविवार को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 21 सितंबर को रात्रि 12:16 से प्रारंभ होकर 22 सितंबर को 1:23 बजे तक रहेगी। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर को ही मानी जाएगी। इसी दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करके पूर्वजों को संतुष्ट किया जा सकता है।

इस दिन श्राद्ध का श्रेष्ठ काल प्रातः 11:50 बजे से दोपहर 1:27 बजे तक रहेगा। इस समय अपने पितरों का विधि-विधान से तर्पण करने से आत्मा की तृप्ति होती है और परिवार पर पितृ कृपा सदा बनी रहती है।

 

सर्व पितृ अमावस्या का महत्व

धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि पितृ पक्ष में पितरों की आत्माएं अपने वंशजों के पास आती हैं और उनकी श्रद्धा एवं सेवा से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। श्राद्ध और तर्पण के बिना पितरों की आत्माएं अपूर्ण रहती हैं, इसलिए सर्व पितृ अमावस्या के दिन उनका विधिपूर्वक स्मरण करना अत्यंत आवश्यक है।

 

पुराणों में कहा गया है कि –

येन पितृगणाः तृप्ताः तेन देवाः प्रसन्नाः।

अर्थात, जब पितर प्रसन्न होते हैं, तभी देवता भी प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।

 

पितरों का तर्पण करने से उनके लिए आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। विशेष रूप से जिन लोगों के परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो, उनके लिए इस दिन किया गया तर्पण और श्राद्ध उन्हें संसार के मोह-माया से मुक्त कर परम धाम की प्राप्ति कराता है।

 

सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण

इस वर्ष सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। यह ग्रहण 21 सितंबर की रात 10:59 से आरंभ होकर 22 सितंबर की भोर 3:23 तक रहेगा। भारत में यह दृश्य मान्य नहीं होगा, क्योंकि यह रात में लगेगा। इसलिए सूतक काल का कोई प्रभाव नहीं होगा। इसी कारण पितरों की पूजा, तर्पण और पिंडदान बिना किसी विघ्न के पूरे दिन किया जा सकेगा।

 

दान का महत्व

हिन्दू धर्म में दान को सर्वोच्च पुण्य माना गया है। यह परंपरा हमारे ऋषि-मुनियों और धर्मग्रंथों में बार-बार वर्णित है। दान करने से न केवल पितरों की आत्मा को संतोष मिलता है, बल्कि दाता को भी अपार पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

 

धर्मग्रंथों में कहा गया है

 

दानेन भूतानि वशी भवन्ति दानेन वैराण्यपि यान्ति नाशम्।

परोऽपि बन्धुत्वमुपैति दानैर् दानं हि सर्वव्यसनानि हन्ति॥

 

अर्थात दान से प्राणी वश में होते हैं, बैर का नाश होता है, शत्रु भी मित्र बन जाता है और दान से ही जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।

सर्व पितृ अमावस्या के दिन विशेष रूप से अन्नदान, गौदान और वस्त्रदान का महत्व बताया गया है। ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना, गुड़, चावल, गेहूं, घी का दान करना और निर्धनों की सेवा करना पितरों को तृप्त करता है।

 

 

सर्व पितृ अमावस्या पर इन चीजों का करें दान

सर्व पितृ अमावस्या पर अन्न और भोजन का दान सर्वोत्तम है। इसलिए इस पुण्यकारी अवसर पर अपने पितरों का तर्पण करवाएं एवं नारायण सेवा संस्थान के ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, निर्धन, दिव्यांग बच्चों को भोजन दान करने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):-

 

प्रश्न: सर्व पितृ अमावस्या 2025 कब है?

उत्तर: सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर 2025 को है।

 

प्रश्न: सर्व पितृ अमावस्या पर किन लोगों को दान देना चाहिए?

उत्तर: सर्व पितृ अमावस्या पर ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, असहाय निर्धन लोगों को दान देना चाहिए।

 

प्रश्न: सर्व पितृ अमावस्या के दिन किन चीजों का दान करना चाहिए?

उत्तर: सर्व पितृ अमावस्या के शुभ अवसर पर अन्न, भोजन, गुड़, तिल, गाय, घी, फल आदि दान में देना चाहिए।

 

प्रश्न : सूर्य ग्रहण कब है?

उत्तर: सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को पड़ रहा है।

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