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श्राद्ध एवं सर्व पितृ अमावस्या क्या है ?

श्राद्ध पक्ष, जिसे पितृ पक्ष या महालय के नाम से भी जाना जाता है, यह पूर्वजों और दिवंगत प्रियजनों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित एक पवित्र अवधि है। इस पवित्र अवधि में जो विधिपूर्वक श्रद्धायुक्त होकर तर्पण, दान आदि किया जाता है उसे श्राद्ध कहा जाता है। इस धरती में हमें जन्म पूर्वजों से ही मिला है, ऐसे में उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा करना हमारा कर्तव्य है।

श्राद्ध के साथ सर्व पितृ अमावस्या भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है; यह दिन ज्ञात-अज्ञात पितरों के तर्पण का दिन होता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करने उपरांत अपने पितरों का तर्पण करके ब्राह्मणों तथा दीन-हीन, निर्धन, जरुरतमंद लोगों को भोजन कराते हैं और इस जगत के पालनहार भगवान विष्णु से अपने पितरों के मोक्ष की कामना करते हैं।

 

सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण

इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को लगने जा रहा है। जो सर्व पितृ अमावस्या के दिन होगा। यह सूर्य ग्रहण हस्त नक्षत्र और कन्या राशि में लगने जा रहा है। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा। इसलिए भारत में मनाई जाने वाली सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

श्राद्ध तिथि तर्पण

श्राद्ध तिथि तर्पण पितरों को स्मरण करने, उनकी पूजा और तर्पण करने का अनुष्ठान होता है। ब्रह्म पुराण में बताया गया है, “विधि-विधान से पितरों का तर्पण करने से पितृ ऋण चुकाने में मदद मिलती है। इस समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है।“

हमारे अनुभवी पुजारियों द्वारा निर्देशित यह अनुष्ठान आपको पूर्वजों के प्रति आपकी कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। इस अनुष्ठान के माध्यम से आप अपने पूर्वजों को नमन करें और उनके प्रति समान व्यक्त करें। अपने पूर्वजों की मुक्ति की प्रार्थना के लिए श्राद्ध तिथि तर्पण समारोह में हमारे साथ जुड़ें।

ब्राह्मण एवं दीन - दु:खीजन भोजन

श्राद्ध एवं सर्व पितृ अमावस्या में ब्राह्मणों को भोजन करवाना बेहद महत्वपूर्ण है। इस परंपरा का पालन हजारों सालों से किया जा रहा है। उदारता और भक्ति से परिपूर्ण साधक अपने पूर्वजों की स्मृति में ब्राह्मणों एवं दीन-दु:खीजनों को भोजन करवाते हैं। संस्थान यह सुनिश्चित करता है कि ब्राह्मण एवं दीन-दु:खीजन भोजन का हर पहलू श्रद्धा और प्रामाणिकता से परिपूर्ण हो; ताकि इस शुभ परंपरा में आपके पितरों को गहरी संतुष्टि प्राप्त हो।

भागवत मूल पाठ

भागवत ही जीवन का सार है। श्राद्ध पक्ष पर हमारे प्रतिष्ठित पंडितों द्वारा पितरों की संतुष्टि के लिए भागवत मूल पाठ करवाएं और पितरों के ऋण से हो जाएँ मुक्त।

श्राद्ध एवं सर्व पितृ अमावस्या का सार

श्राद्ध पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्रद्धा पूर्वक किए जाने वाले कर्मों का पर्व है। इसमें तर्पण और दान द्वारा पितरों को संतुष्ट किया जाता है। यह पितरों के प्रति आभार और सम्मान प्रकट करने का महत्वपूर्ण समय होता है। श्राद्ध 15 दिनों तक चलने वाली पवित्र यात्रा है। जो परंपराओं, अनुष्ठानों और आध्यात्मिक गहराई को उजागर करता है। इस अवधि में अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनके निमित्त पूजा करने तथा तर्पण करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
साथ ही सर्व पितृ अमावस्या का दिन ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों के श्राद्ध करने के लिए होता है। जो भी लोग श्राद्ध के 15 दिनों में अपने पितरों का श्राद्ध न कर पाए हो, या जिन्हें अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि ज्ञात न हो; वो सभी सर्व पितृ अमावस्या के पावन अवसर पर अपने पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं।

नारायण सेवा संस्थान के साथ मनाएं श्राद्ध एवं सर्व पितृ अमावस्या

आपके प्रियजन जो इस संसार में अब नहीं हैं और देवलोकवासी हो गए हैं उनकी आत्मा को मुक्ति और चिर शांति प्रदान करने के लिए नारायण सेवा संस्थान पवित्र श्राद्ध एवं सर्व पितृ अमावस्या में, महातीर्थ गया जी में तिथि तर्पण, ब्राह्मण भोजन व भागवत मूल पाठ का आयोजन करने जा रहा है। जिसमें संस्थान के द्वारा सप्तदिवसीय भागवत मूल पाठ के साथ आपके पितरों की पुण्य तिथि पर तर्पण करने के साथ ब्राह्मण तथा दीन-दु:खीजनों को भोजन कराया जाएगा। यदि आप इस पवित्र परंपरा में हिस्सा लेना चाहते हैं तो हमारी टीम हर कदम पर आपकी सहायता के लिए तैयार है। श्राद्ध एवं सर्व पितृ अमावस्या पर हमारे साथ जुड़ें और अपने पितरों का तर्पण करवाकर प्राप्त करें उनका आशीर्वाद।

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