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आषाढ़ पूर्णिमा, जिसे गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं, भगवान विष्णु की पूजा और गुरुजनों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक पवित्र दिन है। इस दिन व्रत, जप, तप और दान करने से समस्त पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है।
देवशयनी एकादशी 2025, जो 6 जुलाई को मनाई जाएगी, सनातन परंपरा में पवित्र दिन है जब भगवान विष्णु चार माह के योग निद्रा के लिए चले जाते हैं, चातुर्मास की शुरुआत होती है। भक्तजन रीति-रिवाजों का पालन करते हैं, जरूरतमंदों को दान देते हैं और मोक्ष व सांसारिक कष्टों से मुक्ति के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
आषाढ़ अमावस्या दान-पुण्य व पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले धार्मिक कर्मों के लिए विशेष फलदायी मानी गई है। इस दिन पवित्र नदी और तीर्थ स्थलों पर स्नान-दान का कई गुना फल मिलता है। आषाढ़ महीने में पड़ने वाली इस अमावस्या के दिन ध्रुव योग और आर्द्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है।