20 October 2023

शरद पूर्णिमा पर ये उपाय करके पाएं धन और सुख-समृद्धि का वरदान

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शरद पूर्णिमा आश्विन मास की पूर्णिमा को कहा जाता है। यह एक प्रसिद्ध हिन्दू त्यौहार है। जिसे कोजागरी पूर्णिमा व रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। ज्‍योतिष में कहा गया है कि पूरे साल में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा से अमृत झड़ता है। इसलिए इस दिन रात्रि में खुले आसमान के नीचे खीर से भरा हुआ पात्र रखने का विधान है।

सनातन धर्म में मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसलिए इस रात को सुख और समृद्धि प्रदान करने वाली रात माना जाता है। कहा जाता है कि इस रात में  धन की देवी लक्ष्मी धरती पर आती हैं और हर घर में आशीर्वाद प्रदान करने के लिए जाती हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा के अवसर पर घर की साफ सफाई करके माँ लक्ष्मी की विशेष आराधना की जाती है। 

 

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी कलाओं से परिपूर्ण होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है। इसलिए इस दिन खीर बनाकर किसी खुले बर्तन में रखकर उसे आसमान के नीचे रख देना चाहिए। इससे खीर में औषधीय गुण मिल जाते हैं और खीर खाने वाले व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है। इस खीर को खाने से व्यक्ति वर्ष भर निरोगी रहता है। इस ठंडी खीर को खाने से चित्त को शांति मिलती है। 

 

अनुष्ठान और परंपराएं 

शरद पूर्णिमा के दिन उपवास रखें। स्नान करने के उपरांत चित्त को शांत रखें। इस दिन माँ लक्ष्मी की विधिपूर्वक की पूजा करें। सायंकाल में चन्द्रोदय के पश्चात घी के दीपक जलाएं। आसमान के नीचे रखी हुई खीर को माँ लक्ष्मी को अर्पित करें। साथ ही कुछ देर के लिए चंद्रमा की चाँदनी में बैठें। पूर्णिमा की रात में जब चंद्रमा की रोशनी अपने चरम पर होती है, इस दौरान चंद्रमा के दर्शन जरूर करें।

 

इस पर्व को मनाने के लिए की भक्त पूरी रात जागरण करते हैं और भगवान कृष्ण की स्तुति में नृत्य करते हैं। भक्ति गीतों और नृत्यों के माध्यम से रास लीला को मंदिरों और घरों में दोहराया जाता है।

 

जरूरतमंदों की मदद करें

गरीब लोगों को दान देना शरद पूर्णिमा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। कई लोग इस शुभ दिन पर वंचितों को भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक चीजें दान करते हैं।

शरद पूर्णिमा प्रकृति, प्रेम और आध्यात्मिकता का उत्सव है। यह पर्व मानव और परमात्मा के बीच गहरे संबंध का प्रतीक है। इस त्यौहार से जुड़ी परंपराएं भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण हैं। यह एक ऐसा समय है जब घर के लोग देवी लक्ष्मी के प्रति अपनी कृतज्ञता और भक्ति व्यक्त करने के लिए एक साथ आते हैं।