सर्व पितृ अमावस्या सनातन संस्कृति में एक पवित्र दिन है। यह दिन को अपने पूर्वजों को सम्मान देने के लिए एक पर्व की तरह मनाया जाता है। इसे महालय अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन हमारे दिवंगत प्रियजनों की आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं, इस दौरान विशिष्ट अनुष्ठान और पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। सर्व पितृ अमावस्या वाले दिन आप कुछ आसान उपायों को करके अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यह आशीर्वाद आपके पूरे परिवार की उन्नति और अच्छे स्वास्थ्य लाभ में सहायक होगा।
तर्पण से पितरों को तृप्त करें
तर्पण सर्व पितृ अमावस्या पर अपने पूर्वजों को भोजन और जल अर्पित करने के लिए किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। ऐसा माना जाता है कि श्रद्धा का यह कार्य आत्माओं को तृप्त करता है और उन्हें संतुष्टि प्रदान करता है। इस अनुष्ठान को करने के लिए लोग किसी पवित्र नदी या जलाशय पर इकट्ठा होते हैं।
तर्पण करने के लिए लोग काले तिल, कुशा, सफेद फूल और चावल का उपयोग करते हैं। कुशा के अग्र भाग से पितरों को जल अर्पित करते हैं। इससे पितरों को तृप्ति मिलती है। इसके बाद दूध और घी चढ़ाते हैं, आशीर्वाद मांगते हैं और किसी भी गलत काम के लिए क्षमा मांगते हैं। पूर्वजों के लिए भक्ति का यह कार्य वंश के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है।
यदि आपके पास किसी चीज की कमी है या अर्पित करने के लिए कुछ नहीं है तो आप अपने पूर्वजों का सिर्फ ध्यान करके उनसे विनती करके उन्हें तृप्त कर सकते हैं। इसके लिए आप हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि हे पितृ देव! आप सभी तृप्त हों। मैं आपके तृप्त होने के लिए प्रार्थना करता हूं।
पितरों के लिए दान करें
दान सर्व पितृ अमावस्या का एक मूलभूत पहलू है। इस दिन ब्राह्मणों तथा जरुरतमंद लोगों को दान देना पुण्य का कार्य माना जाता है। जो वस्तुएं आप दान कर सकते हैं उनमें सफेद कपड़े, केला, सफेद फूल, काल तिल, दही, भोजन या यहां तक कि पैसा भी शामिल हो सकता है। ऐसा दान चुनना सबसे अच्छा है जो आपके पारिवारिक मूल्यों से मेल खाता हो। ये दान करके आप न केवल जरूरतमंदों की मदद करते हैं बल्कि पीढ़ियों को जोड़ने वाली उदारता की भावना को भी कायम रखते हैं।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं
सर्व पितृ अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को भोज कराना अपने पूर्वजों को सम्मानित करने का एक पारंपरिक तरीका है। ब्राह्मण, जिन्हें सनातन धर्म की वर्ण व्यवस्था में सबसे ऊंचा स्थान प्राप्त है, को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है। इस दिन खीर, पूड़ी, कद्दू की सब्जी का भोग लगाया जाता है। भक्तिपूर्वक तैयार किए गए भोजन में भाग लेने के लिए ब्राह्मणों को आमंत्रित किया जाता है और विनम्रता के साथ उन्हें खाना खिलाया जाता है।
पीपल के पेड़ की पूजा करें
पीपल के पेड़ का सनातन धर्म में गहरा आध्यात्मिक महत्व है। सर्व पितृ अमावस्या पर, इस पेड़ की पूजा करने की प्रथा है, जिसमें कई देवताओं और पैतृक आत्माओं का निवास माना जाता है। इस दिन लोग पीपल के पेड़ को जल से सींचते हैं। इसके साथ ही शाम के समय पेड़ के नीचे दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं। इस पवित्र वृक्ष की पूजा करके लोग अपने पूर्वजों से परिवार की भलाई और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
पंचबलि कर्म
सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी कार्यों के साथ पंचबलि कर्म करने की भी प्रथा है। इस दिन भोजन से कौआ, गाय, कुत्ता, चींटी आदि के लिए भोजन निकाला जाता है और उन्हें यह खाना खिलाया जाता है। कहा जाता है कि इन जीवों के पेट में खाना जाने से पितर तृप्त होते हैं। जीवों के पेट में खाना जाने को पितरों के पेट में खाना जाने के बराबर माना जाता है।