इस साल की पहली एकादशी 7 जनवरी को पड़ रही है। इसे सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। हर एकादशी की तरह यह एकादशी भी भगवान विष्णु की आराधना के लिए समर्पित मानी जाती है। एकादशी व्रत का उल्लेख श्रीमद्भगवद्गीता में भी किया गया है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने एकादशी व्रत को स्वयं के समान ही बलशाली बताया है। साल में आने वाले हर माह की एकादशी का नाम और महत्व अलग-अलग होता है।
कहा जाता है कि पौष माह के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली इस एकादशी पर व्रत करने से लोगों के सारे कार्य सफल हो जाते हैं। इसलिए जिन लोगों को अपने जीवन में सफलता हासिल करनी है उन्हें सफला एकादशी पर व्रत जरूर करना चाहिए।
सफला एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस बार सफला एकादशी 7 जनवरी 2024 को पड़ रही है। सफला एकादशी का शुभ मुहूर्त 7 जनवरी को रात्रि 12 बजकर 41 मिनट से शुरू होगा। जो ठीक 24 घंटे बाद अगले दिन रात्रि 12 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगा। उदया तिथि के नियमानुसार सफला एकादशी का व्रत 7 जनवरी को रखा जाएगा।
व्रत के पारण का समय 8 जनवरी 2024 को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से 8 बजकर 39 मिनट के बीच रहेगा।
सफला एकादशी का महत्व
कहते हैं कि सफला एकादशी के दिन घर में तुलसी का पौधा लगाने का विशेष महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन लोगों को अपने घर के उत्तर या पूर्व या फिर उत्तर-पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। इससे घर में सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन विधि विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन घर में खीर जरूर बनाए और उसमें तुलसी का पत्ते डालकर भगवान विष्णु को भोग लगाएं।
सफला एकादशी पूजा विधि
इस दिन भक्त व्रत रखें। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद लकड़ी की एक चौकी पर या जमीन पर कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराकर वस्त्र, चन्दन, जनेऊ, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप, नैवैद्य, ऋतुफल, पान, नारियल आदि अर्पित करें। बाद में कपूर से भगवान की आरती करें। व्रत करने वाला व्यक्ति यदि इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करता है तो यह उसके लिए बेहद फलदायी साबित होगा।
सफला एकादशी पर स्नान-दान का का महत्व
कहा जाता है कि सफला एकादशी पर जरूरतमंदो को दान-पुण्य करना चाहिए। इससे दान करने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
इन चीजों का करें दान
अन्न और भोजन : सनातन परंपरा में अन्न और भोजन के दान को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए इस दिन निर्धन और जरुरतमन्द लोगों को भोजन कराना चाहिए। साथ ही एकादशी के शुभ अवसर पर कोई भी व्यक्ति दीन हीन और असहाय लोगों को अनाज का दान भी कर सकता है। इसमें राशन की चीजें, जैसे कि गेहूं, ज्वार, बाजरा इत्यादि हो सकता है।
गर्म वस्त्रों का दान : सफला एकादशी इस बार जनवरी में पड़ रही है। इस समय देश भर में सर्दी अपने चरम पर होती है। इसलिए सफला एकादशी के दिन गर्म वस्त्रों का दान श्रेष्ठ माना जाता है। गर्म वस्त्रों में आप जरुरतमन्द लोगों को कंबल, जूते, मोजे और स्वेटर दान कर सकते हैं।
शिक्षा दान : किसी जरुरतमंद व्यक्ति को शिक्षा देना या उसके द्वारा शिक्षा प्राप्त करने में उसकी सहायता करना एक अच्छा दान माना जाता है। इस दिन जरुरतमंद बच्चों को स्टेशनरी सामग्री दान करना चाहिए। साथ ही यदि आप सक्षम हों तो इस दिन किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई का संकल्प लें और उसके लिए कार्य करें।
सफला एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि राजा माहिष्मत का बड़ा पुत्र हमेशा कुकर्मों में लीन रहता था और देवी देवताओं की निंदा करता था। अपने बड़े पुत्र से तंग आकर राजा ने उसका नाम लुम्भक रख दिया और उसे राज्य से बेदखल कर दिया। जब लुम्भक राज्य से बेदखल हो गया तब वह जंगल पहुंचा और फलों के सहारे अपना जीवन यापन करने लगा। थक जाने पर वह एक पुराने विशाल पीपल के वृक्ष के नीचे विश्राम करता था।
एक बार सर्दी ने मौसम में बहुत ठंड पड़ रही थी। तब लुम्भक निष्प्राण सा हो गया था उस दिन पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि थी। अगले दिन जैसे ही लुम्भक के ऊपर सूर्य देव की किरणें पड़ीं तब उसे होश आया। भूख से व्याकुल लुम्भक अपने लिए फलों को एकत्रित करने के लिए जंगल में गया। आते समय सूर्यास्त हो चुका था। तब उसने लाए गए फलों को पीपल की जड़ों के निकट रखते हुए कहा, ‘इन फलों से लक्ष्मीपति भगवान विष्णु संतुष्ट हों।‘ यह काम लुम्भक ने अनजाने में ही किया था। लेकिन इस प्रार्थना से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और लुम्भक को दिव्य रूप, पुत्र और राज्य आदि की प्राप्ति हुई