हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। इसे सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। एकादशी के व्रत से मनुष्य को न केवल सांसारिक सुख-सुविधाएं मिलती हैं, बल्कि मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है। इन्हीं एकादशियों में से एक है यह एकादशी, जो पौष मास के कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाई जाती है।
जैसा कि नाम से स्पष्ट है, इस दिन व्रत और पूजा से जीवन में सफलता प्राप्त होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्त को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 25 दिसंबर को देर रात 10 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी। जिसका समापन 27 दिसंबर को देर रात 12 बजकर 43 मिनट पर होगा। हिन्दू धर्म में उदयातिथि को ध्यान में रखकर त्यौहार मनाए जाते हैं इसलिए साल 2024 में यह 26 दिसम्बर को मनाई जाएगी।
सफला एकादशी का अर्थ है “सफलता प्रदान करने वाली एकादशी”। यह दिन जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने का प्रतीक है। पौराणिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो जाता है और जीवन के सभी कार्य सफल होते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था
एकादश्यां तु यो भक्ता: कुर्वन्ति नियत: शुचि:।
ते यांति परमं स्थानं विष्णो: परमपूजितम्।।
अर्थात, जो भक्त एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और नियम से करता है, वह भगवान विष्णु के परम धाम को प्राप्त करता है।
इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है:
व्रत और उपवास: सफला एकादशी पर व्रत रखना पापों का नाश करता है और पुण्य प्रदान करता है। व्रत दो प्रकार से रखा जा सकता है – निर्जल या फलाहार।
भगवान विष्णु की आराधना: इस दिन भगवान विष्णु को पीले पुष्प, तुलसी और फल अर्पित करना चाहिए।
मंत्र जप और भजन कीर्तन: विष्णु सहस्रनाम, भगवद गीता का पाठ और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
दीपदान: इस रात दीपदान करना अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान के प्रकाश का संचार करता है।
सफला एकादशी केवल व्रत और पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि इस दिन दान का भी विशेष महत्व है।
अन्नदान: भूखे को भोजन कराने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। असहाय और गरीब लोगों की सहायता करने से पुण्य प्राप्त होता है।
पद्मपुराण में कहा गया है:-
“दानं प्रीतिकरं लोके, दानं स्वर्गस्य साधनम्।”
अर्थात, दान न केवल इस लोक में खुशी देता है, बल्कि स्वर्ग का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
वस्त्रदान: गरीब और जरूरतमंदों को वस्त्रदान करने से जीवन में सुख-शांति आती है।
सफला एकादशी का व्रत हमें दूसरों की मदद करने का संदेश देता है। दीन-दु:खी और असहाय लोगों की सहायता करना मानव धर्म का सबसे बड़ा कार्य है।
परोपकार का पुण्य: दीन-दुखियों की मदद करने से आत्मा को संतोष मिलता है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
समाज में संतुलन: दान से समाज में समानता और समरसता आती है।
पुण्य का संचय: इस दिन दिया गया दान कई जन्मों तक पुण्य प्रदान करता है।
इस पर अन्न के दान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन दान देकर नारायण सेवा संस्थान में दीन-दु:खी, निर्धन लोगों को भोजन कराने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।
सफला एकादशी का व्रत और पूजा जीवन को सफल, पवित्र और समृद्ध बनाते हैं। यह दिन आत्म-विश्लेषण, भगवान की भक्ति और दूसरों की सहायता का संदेश देता है। इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु की आराधना करें, व्रत रखें और जरूरतमंदों की मदद करें। यह पर्व न केवल भौतिक सफलता, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्ग प्रशस्त करता है।
यथा दीपो घृतैर्धृत:।
तथा दानं पवित्रं च सफलं च भवेत्।
अर्थात, जिस प्रकार दीपक प्रकाश फैलाता है, उसी प्रकार दान जीवन में पवित्रता और सफलता लाता है।
प्रश्न: सफला एकादशी 2024 कब है?
उत्तर: साल 2024 में 26 दिसम्बर को मनाई जाएगी।
प्रश्न: सफला एकादशी कौन से भगवान के लिए समर्पित है?
उत्तर: यह भगवान विष्णु के लिए समर्पित है।
प्रश्न: सफला एकादशी पर किन चीजों का दान करना चाहिए?
उत्तर: इस शुभ दिन पर जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और भोजन का दान करना चाहिए।