29 December 2022

पौष पुत्रदा एकादशी – साल की पहली एकादशी।

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सनातन धर्म में हर एकादशी का अपना महत्व है। साल 2023 की सबसे पहली एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी होगी। पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पौष पुत्रदा एकादशी या वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है, पहली पौष के महीने में और दूसरी श्रावण मास में। उदयातिथि के अनुसार इस साल पौष पुत्रदा एकादशी तिथि 1 जनवरी 2023 शाम 7 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 2 जनवरी को रात 8 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी।

 

पुत्रदा एकादशी महत्व।

शास्त्रों में पौष पुत्रदा एकादशी पर व्रत रखने और भगवान विष्णु की उपासना करने की मान्यता है। विवाहित दंपत्तियों को को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य ही रखना चाहिए. इस व्रत के पुण्य प्रभाव और भगवान श्री विष्णु के आशीर्वाद से संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान संबंधी हर चिंता और समस्या का निवारण हो जाता है। संतान पर सकारात्मक असर पड़ता है। उनकी सुख-सुविधाओं में बढ़ोतरी होती है। और उनकी आयु भी लंबी होती है। इसके अलावा व्रत के प्रभाव से मनोवांछित फल की प्राप्ति और मृत्यु के बाद मोक्ष का वरदान भी प्राप्त है।

 

पुत्रदा एकादशी इतिहास। 

पौराणिक कथा अनुसार, राजा सुकेतु और उनकी पत्नी रानी शैव्या को कोई संतान नहीं थी। इस कारण दोनों बहुत दुःखी थे। संतान नहीं होने की वजह से राजा ने अपना सारा साम्राज्य अपने मंत्री को दे दिया और जंगल में चले गए। परेशान राजा के मन में आत्महत्या का विचार भी आया, लेकिन राजा को अचानक बोध हुआ कि इससे बड़ा कोई पाप नहीं है। तभी राजा को वेद पाठ के स्वर सुनाई दिए और वह उसी दिशा में चलने लगे। राजा जब वहाँ पहुंचे तो उन्हें ऋषियों से पुत्रदा एकादशी के महत्व की जानकारी मिली। राजा और उनकी पत्नी ने इस व्रत को विधि-विधान से रखा और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। कहा जाता है कि तब से इस व्रत का महत्व और अधिक हो गया।

 

साल का पहला एकादशी व्रत। 

व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का माना जाता है एकादशी का नियमित व्रत रखने से धन और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है और मनोरोग संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं। एक समृद्ध जीवन के लिए पुत्रदा एकादशी पर व्रत जरूर करे इस व्रत को करने के लिए सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें, व्रत के अगले दिन यानी पारणा के दिन किसी योग्य ब्राह्मण, गरीबों और ज़रुरतमंदों को प्रसाद, भोजन, और अपनी क्षमता अनुसार दान दक्षिणा अवश्य दें और उसके बाद ही अपने व्रत का पारण करें। सम्पूर्ण विधान से पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से पापो का नाश और पुण्य की प्राप्ति ज़रूर होती है।